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Ayodhya Ram Mandir: राम मंदिर की जमीन ही नहीं, चंदे पर भी खूब हो चुका है बवाल, जानें कब क्या लगे आरोप

- Ayodhya Ram Mandir: राममंदिर निर्माण के दान पर उठते रहे हैं विवाद - निर्मोही अखाड़े ने 80 के दशक में लगाया था गंभीर आरोप - विहिप पर लगा था 1400 करोड़ की हेराफेरी का आरोप - कांग्रेस ने भी 600 करोड़ की गड़बड़ी की उठायी थी बात - आंदोलन में मिली राशि में से दो करोड़ बचे, 28 करोड़ खर्च

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पत्रिका न्यूज नेटवर्क

अयोध्या. Ayodhya Ram Mandir: श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट पर अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए खरीदी गई जमीन में घोटाले के आरोप लगे हैं। यह आरोप अयोध्या के पूर्व सपा विधायक और पूर्व मंत्री तेज नारायण पांडे उर्फ पवन पांडे और आप सांसद संजय सिंह ने लगाए हैं। वहीं, आरोप पर ट्रस्ट महासचिव चंपत राय ने सफाई देते हुए कहा है कि मंदिर निर्माण के लिए अभी तक जितनी भी जमीनें खरीदी गई हैं, उनकी कीमत खुले बाजार से काफी कम है। हालांकि, यह पहला मौका नहीं है जब राम मंदिर निर्माण को लेकर मिले चंदे पर कोई विवाद सामने आया है। 80 के दशक में जब राममंदिर निर्माण को लेकर पहला आंदोलन हुआ था तब चंदे की राशि में 1400 करोड़ की हेराफेरी का आरोप विश्व हिंदू परिषद पर लगा था। जबकि, कांग्रेस ने भी 600 करोड़ के चंदे की हेराफेरी की बात कही थी।

निर्मोही अखाड़े के आरोप का दिया था जवाब

2017 में निर्मोही अखाड़े ने विश्व हिंदू परिषद पर आरोप लगाया था कि राम मंदिर निर्माण के नाम पर 1400 करोड़ रुपए की रकम जमा कर ली। इस राशि का इस्तेमाल विहिप के पदाधिकारी अपने निजी कार्यों में कर रहे हैं। निर्मोही अखाड़े के सदस्य सीताराम के आरोप पर वीएचपी ने सफाई देते हुए कहा था कि 1400 करोड़ राशि एकत्र होने का आरोप सही नहीं है। वास्तविकता यह थी कि अयोध्या में भव्य राममंदिर निर्माण के लिए 80 के दशक से ही दान से रकम इकत्र की जा रही है। विश्व हिंदू परिषद की तत्कालीन संस्था रामजन्मभूमि न्यास के खाते में तब कुल 8.25 करोड़ रुपए जमा हुए थे। 1985 में श्रीराम जन्मभूमि न्यास की स्थापना हुई थी। संस्था ने देश की 6 करोड़ जनता से दान एकत्र किया। इस राशि को बैंक में जमा किया गया। बाद में ब्याज सहित यह रकम 30 करोड़ हो गयी। बाद में इसमें से 28 करोड़ रुपए आंदोलन और अन्य कार्यों में खर्च हो गए। वीएचपी ने स्पष्ट किया था कि संस्था के पास इस राशि में से 2 करोड़ रुपए बचे हैं।

कांग्रेस के आरोप का नहीं मिला प्रमाण

साल 2015 में कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने राममंदिर निर्माण के दान में हेराफेरी का आरोप लगाया था। कांग्रेस नेताओं का कहना था कि चंदे में मिली रकम का कोई हिसाब किताब नहीं है। 80 के दशक में दान में 600 करोड़ रुपए मिले थे। उसे विहिप ने स्विस बैंक में जमा करवा दिया गया। हालांकि, कांग्रेस नेता इस आरोप पर कोई प्रमाण नहीं दे सके।

पत्थर तराशी पर बड़ी राशि खर्च

राममंदिर के नाम पर मिली राशि के संबंध में पिछले साल श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने भी जानकारी दी थी। तब उनका कहना था कि रामजन्मभूमि न्यास ने ट्रस्ट के खाते में 2 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए हैं। उनका कहना था कि अयोध्या के कारसेवकपुरम में संस्था के कार्यकर्ता पिछले 30 सालों से मंदिर निर्माण के काम में लगे हैं। मंदिर निर्माण में पत्थर खरीदने से लेकर उसे तराशने में लगे मजदूरों पर बहुत सारे पैसे खर्च हुए। मंदिर निर्माण का नक्शा बनाने वाले आर्किटेक्ट को भी न्यास ने भुगतान किया। इस तरह करीब 28 करोड़ खर्च हुए। और अब करीब 2 करोड़ की रकम ट्रस्ट के बैंक खाते में जमा है। इसके अलावा ट्रस्ट के पास 11 करोड़ रुपए की अचल संपत्ति है। इसमें मंदिर निर्माण से जुड़ी चीजें भी शामिल हैं। मसलन-पत्थर और पत्थर काटने की मशीनें आदि।

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