प्रथम तल पर होगा राजा राम के दरबार का दर्शन
राम मंदिर में प्रथम तल के निर्माण का कार्य प्रारंभ हो गया है। प्रथम तल पर कुल 144 पिलर खड़ा किया जाना है। ट्रस्ट के मुताबिक दिसंबर 2024 तक इस कार्य को भी पूरा कर लिया जाएगा। जिस पर भगवान श्री राम का दरबार का दर्शन होगा। जिसकी एक तस्वीर राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चम्पतराय ने अपने ट्विटर पर जारी कर जानकारी दी है।
भूतल का निर्माण पूरा अब पधारेंगे रामलला
राम मंदिर निर्माण में पहले चरण में भूतल का कार्य पूरा कर लिया गया है। जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के बाद 15 जनवरी से 24 जनवरी के बीच भूतल स्थित संगमरमर के पत्थरों से बने अष्टकोणीय गर्भगृह में प्राण प्रतिष्ठा कर भगवान श्री रामलला के चल और अचल दिब्य मूर्ति को विराजमान करा दिया जाएगा। इसके लिए पहले मंदिर का फर्श और लगाए गए पिलर में देवी देवताओं की मूर्तियों को बनाया जा रहा है। वहीं मंदिर के दूसरे चरण में प्रथम तल के निर्माण का कार्य राजस्थान के पत्थरों तैयार करने करने का कार्य भी शुरू कर दिया गया है। ट्रस्ट के महासचिव चम्पतराय ने जानकारी दी है कि भूतल पर बाल स्वरूप रामलला और तीनों भाई विराजमान होंगे। और प्रथम तल पर राजा राम का दरबार सजाया जाएगा।
सितम्बर 1990 में शुरू हुई थी निर्माण कार्यशाला
राम मंदिर के प्रथम तल में उन पत्थरों का इस्तेमाल किया जा रहा है। जो आज से लगभग 3 दशक पहले अयोध्या में रामघाट क्षेत्र स्थित बीते सितंबर 1990 में शुरू हुए कार्यशाला में राजस्थान के पिंक सैंड स्टोन पर नक्काशी किये गए थे। विश्व हिंदू परिषद के प्रांतीय मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि विश्व हिंदू परिषद के आवाहन पर 1989 में राम भक्तों के द्वारा सवा रुपया और एक राम नाम शिला दान दिए जाने के बाद आर्किटेक्ट सीपी सोनपुरा के निर्देशन में अयोध्या पहुंचे अन्नू भाई सोनपुरा और गिरीश भाई सोनपुरा ने दो कारीगरों के साथ प्रारम्भ किया था।
100000 घन फुट पत्थरों पर हुई थी तरासी
इस दौरान 175000 घनफुट पत्थरों पर नक्काशी कराए जाने का लक्ष्य था। और लगभग 20 वर्ष में 100000 घनफुट पत्थर से तात्कालिक मंदिर मॉडल के गर्भगृह, दीवार और पीलर को तैयार कर लिया गया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने के बाद मंदिर की भव्यता को बढ़ाए जाने के कारण इन पत्थरों को प्रारंभ में लगाया नहीं जा सका और अब मंदिर के प्रथम तल के निर्माण का कार्य प्रारंभ हुआ है। जिसमें राम भक्तों के भावना के अनुरूप तैयार किए गए इन पत्थरों का प्रयोग किया जा रहा है।