अयोध्या में रामपथ, भक्ति पथ और जन्मभूमि पर लगाए जाएंगे रंगों वाले फूलदार पेड़
राम मंदिर अपने भव्यता का आकार ले रहा है। वहीं दूसरी ओर राम जन्मभूमि परिसर सहित अयोध्या को वैदिक नगरी के रूप में संवारा जा रहा है। जहां न केवल प्राचीन मठ मंदिर, कुंड व घाटों का निर्माण उनके गरिमा के अनुरूप किया जाएगा। बल्कि अयोध्या पर्यावरण की दृष्टि के त्रेतायुगीन पौधों से सुजाज्जित किया जाएगा। यही नही रामपथ, भक्ति पथ और जन्मभूमि पथ की पहचान विभिन्न रंगों वालों फूलों के पेड़ों से होगी।
ग्रीन सिटी के रूप में संवारेगी अयोध्या
अयोध्या आने वाले श्रद्धालुओं को एक अनोखा एहसास हो इसके लिए अयोध्या को ग्रीन सिटी के रूप संवारे जाने का कार्य किया जाएगा। अयोध्या को हरा भरा बनाये जाने के लिए छायादार व औषधियुक्त पेड़ पीपल, नीम, बरगद सहित अन्य पेड़ लगाए जाएंगे। वहीं सड़कों के बीच बने डिवाइडर में कल्प वृक्ष त्रेतायुग का एहसास कराएगी।
त्रेतायुग के पेड़ों से बदलेगा वातावरण
शास्त्रों में भी वर्णन किया गया है कि सफल पूगफल कदलि रसाला। रोपे बकुल कदंब तमाला। तुलसीदास लिखते हैं कि श्रीरामचंद्र जी के विवाहोपरान्त बारात लौटकर अयोध्या आती है तो अयोध्या नगरी में विविध पौधों का रोपण किया जाता है। फल सहित सुपारी, केला, आम, मौलसिरी, कदंब और तमाल के वृक्ष लगाए गए। आज भी इसी के तहत अयोध्या में रामायण काल के इस युग को दर्शाने के लिए बुनियादी ढांचे के अलावा संपूर्ण रामनगरी को रामयाणकालीन वनस्पतियों से आच्छादित किया जाएगा। अशोक पीपल, बरगद, बेल, मौलश्री और जामुन आदि के पेड़ लगाए जाएंगे। इसके साथ ही शहर में औषधीय वाटिकाएं विकसित की जाएंगी।
रंग विरंगे फूलों वाले पौधे देंगी रास्तों की पहचान
अयोध्या प्रवेश करने के बाद श्रद्धालुओं को हरे भरे वृक्ष ही नहीं बल्कि रंग बिरंगे फूलों वाले पौधे भी भगवान से मिलने के रास्ते बताएंगे। जन्मभूमि पर भक्ति पथ और रामपथ पर रंग बिरंगे फूलदार पौधे लगाए जाएंगे। जिसमें नीले, पीले, बैगनी और फिरोजी और नारंगी रंग फूल होंगे। इस योजना को लेकर वन विभाग, विकास प्राधिकरण और नगर निगम मंथन कर रहा है।
पथों पर लगेंगी पौधों की श्रृंखला
वन विभाग के अधिकारियों का मानना है कि सभी पथो पर अलग अलग प्रजाति के पौधों को रोपित कर एक श्रृंखला तैयार किया जाएगा। जिसके कुछ पौधों का चयन कर लिया गया है। जिसमे अमलतास, गुलमोहर, जैकेरेंडा, टिकोमा, हर श्रृंगार, पलास, टाइबेबिला, कचनार कदम्ब जैसे पौधे शामिल हैं। जो श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र होगा।