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अयोध्या

केरल निवासी इस IAS के आराध्या हैं हनुमान…रामचरित मानस को दे रही हैं नई पहचान

2003 बैच की आईएएस अधिकारी और वर्तमान में उत्तर प्रदेश राज्य कर आयुक्त मिनिस्ती एस ने इसका इंग्लिश में अनुवाद कराया है। यूं तो रामचरित मानस में सात सोपान हैं लेकिन मिनिस्ती एस ने अभी फिलहाल चार सोपान का अंग्रेज़ी अनुवाद कराया है, जिसमें लंका कांड, सुंदरकांड, अरण्यकांड और किष्किंधा कांड शामिल हैं।

अयोध्याMay 02, 2024 / 09:52 am

anoop shukla

श्रीरामचरित मानस को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाने के लिए एक आईएएस अधिकारी ने खास पहल की है।2003 बैच की आईएएस अधिकारी और वर्तमान में उत्तर प्रदेश राज्य कर आयुक्त मिनिस्ती एस ने इसका इंग्लिश में अनुवाद कराया है।यूं तो रामचरित मानस में सात सोपान हैं लेकिन मिनिस्ती एस ने अभी फिलहाल चार सोपान का अंग्रेज़ी अनुवाद कराया है, जिसमें लंका कांड, सुंदरकांड, अरण्यकांड और किष्किंधा कांड शामिल हैं।
इंग्लिश अनुवाद लोगों को इतना पसंद आ रहा है कि बाजार में इन किताबों की संख्या कम हो गई है, इसलिए दोबारा प्रिंटिंग के लिए मिनिस्ती एस ने इसका ऑर्डर भी दे दिया है। आखिर कहां से इंग्लिश अनुवाद कराने की प्रेरणा आईएएस अधिकारी मिनिस्ती एस ने बताया कि वह केरल की रहने वाली हैं. मातृभाषा उनकी मलयालम रही है।उनकी पढ़ाई भी मलयालम भाषा में ही हुई है।केरल में अध्यात्म रामायण का बहुत अधिक महत्व है।बचपन से ही उन्होंने भी इसे पढ़ा है और उनकी पढ़ाई का भी यह हिस्सा रही है।
इस वजह से कराया इंग्लिश अनुवाद
मिनिस्ती एस ने बताया कि जब इन्होंने देखा कि उनकी मां अवधी में रामायण को ठीक से समझ नहीं पा रही हैं तो ऐसे में इन्होंने सोचा कि जब उनकी मां को अवधी में दिक्कत आ रही है तो इसी तरह भारत देश की अलग-अलग भाषाओं को समझने वाले लोगों को भी अवधी समझने में दिक्कत होती होगी इसीलिए उनको यहीं से प्रेरणा मिली और उन्होंने अंग्रेजी में इसका अनुवाद कराया।
मिनिस्ती एस ने बताया कि वह हनुमान भक्त हैं, इसीलिए इन्होंने सबसे पहले सुंदरकांड का अंग्रेज़ी अनुवाद किया। 2016 में इसका अनुवाद शुरू कराया था, 2017 में पब्लिश हो गई थी।50 दिन में किताब का काम पूरा हुआ था। फिर दो साल बाद इन्होंने किष्किंधा कांड के बाद कोविड-19 में अरण्यकाण्ड और अभी 2 महीने पहले लंका काण्ड का अंग्रेज़ी अनुवाद कराया है और अब बालकांड पर काम कर रही है। बालकांड को दो भागों में अनुवाद के जरिए पेश किया जाएगा। वह कहती हैं कि यूं तो इन्हें शुरुआत बालकांड से करनी थी लेकिन जैसा भगवान से चाहा वैसे वैसे अलग अलग भागों का अनुवाद होता गया।

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