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Ayodhya : अयोध्या में राम मंदिर ही नहीं भगवान की प्रतिमा लगाने में भी अड़ंगा हाईकोर्ट पहुंच गये कई भूस्वामी

-कानूनी दांवपेच में फंसी 221 मीटर ऊंची मूर्ति लगाने की योजना -जमीन के भूस्वामी मुआवजे की मांग को लेकर पहुंचे हाईकोर्ट -जिला प्रशासन को एक सप्ताह के भीतर कोर्ट को देना है जवाब    

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Lucknow High Court to hear Ram's statue In Ayodhya on July 25

Ayodhya : अयोध्या में राम मंदिर ही नहीं भगवान की प्रतिमा लगाने में भी अड़ंगा हाईकोर्ट पहुंच गये कई भूस्वामी

अयोध्या : पत्रिका एक्सक्लूसिव
अनूप कुमार


अयोध्या. अयोध्या में भव्य राममंदिर निर्माण की योजना कई दशक से कोर्ट-कचेहरी का चक्कर काट रही है। राममंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद के बाद अब रामलला की भव्य मूर्ति लगाने की योजना भी कोर्ट पहुंच गयी है। ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरयू तट किनारे भगवान श्रीराम की विशालकाय 221 मीटर ऊंची प्रतिमा लगाने की योजना खटाई में पड़ती नजर आ रही है। प्रतिमा स्थापना के लिए चयनित जमीन के मुआवजे की मांग को लेकर प्रभावित भू स्वामियों ने इलाहाबााद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में याचिका दायर कर दी है। इस याचिका पर जिला प्रशासन को एक सप्ताह के अंदर अपना जवाब देना है।

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25 जुलाई को होगी सुनवाई

उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या में सरयू तट के किनारे रामलला की भव्य प्रतिमा लगाने की घोषणा की थी। अयोध्या प्रशासन ने इस पर काम भी शुरू कर दिया। इसके लिए जमीन अधिग्रहण किया गया। लेकिन मुआवजे की मांग को लेकर किसान कोर्ट पहुंच गए। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने किसानों की याचिका को स्वीकार करते हुए जिला प्रशासन से पूछा है कि वह यह बताए कि क्या संबंधित भूमि अधिग्रहण में रिहैबिलिटेशन एंड रिसेटिलमेंट एक्ट 2013 का पालन हुआ या नहीं। जिला प्रशासन को 25 जुलाई 2019 को जवाब देना है।

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65 काश्तकारों ने फंसाया पेंच

अयोध्या में सरयू तट के किनारे जिस स्थान पर भगवान राम की विशालकाय प्रतिमा स्थापित की जानी है, उस क्षेत्र के 65 काश्तकारों ने हाईकोर्ट में मुआवजे की मांग को लेकर याचिका दाखिल की है। काश्तकारों का कहना है कि विकासखंड पूरा क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम माझा बरहटा क्षेत्र की जमीन को आपसी सहमति के आधार पर लेने के लिए सर्किल रेट से 4 गुना ज्यादा दाम निर्धारित किया गया था। लेकिन, नगर निगम के सीमा विस्तार के पहले नोटिफिकेशन में अयोध्या क्षेत्र में स्थित माझा बरहटा सहित अन्य ग्राम सभाओं को शामिल कर दिया गया। जिसकी वजह से इस क्षेत्र के काश्तकारों को मुआवजे की राशि कम दी जा रही है। अब काश्तकारों का विवाद नहीं सुलझा और हाईकोर्ट ने इस मामले को लेकर स्थगन आदेश दे दिया तो भगवान श्रीराम की प्रतिमा लगाने की योजना भी खटाई में जा सकती है।
फिलहाल, इस मामले में जिलाधिकारी अनुज कुमार झा ने पर्यटन विभाग और सर्वे विभाग के अधिकारियों से पत्रावली तलब पर मामले की जानकारी एकत्र की है। जिला प्रशासन कोर्ट को जवाब देने की तैयारी में जुटा है।
बहरहाल, जिला प्रशासन के जवाब से कोर्ट संतुष्ट न हुआ तो मूर्ति लगाने का मामला भी राममंदिर निर्माण की तरह लटक सकता है। गौरतलब है कि अयोध्या में भगवान राम के मंदिर निर्माण को लेकर 6 दशक से अधिक समय से गवाहों और सुनवाई का दौर चल रहा है। अभी तक इस मामले का कोई हल नहीं निकल सका है।


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