
1972 में रामनामी वृक्ष की हुई थी खोज।
Ayodhya News: श्रीराम नगरी अयोध्या में एक पेड़ ऐसा भी है, जो लोगों के कौतूहल का विषय बना हुआ है। इस पेड़ की यह विशेषता है कि इसके तनों और पत्तों पर राम नाम लिखा हुआ उगता है। धर्म नगरी अयोध्या में राम की पैड़ी से चार किलोमीटर दूर एवं दशरथ कुंड के समीप लखनऊ व गोरखपुर हाईवे के बगल तकपुरा निरंकार का पुरवा गांव के पास बाग में स्थित रहस्यमई रामनामी वृक्ष लोगों के श्रद्धा तथा आस्था का केंद्र बना हुआ है। जहां लोग दूर-दराज से इस वृक्ष की पूजा करने आते हैं, यहां हर साल अमावस्या को मेले का भी आयोजन होता है। इस पेड़ तक जाने के लिए बहुत ही सकरे रास्तों से जाना पड़ता है, क्योंकि रोड के आसपास लोगों ने अपना मकान बना रखा है।
आइये जानते हैं क्या है मान्यताएं
स्थानीय लोगों के अनुसार जब हनुमान जी संजीवनी बूटी लेकर लंका जा रहे थे, तो नंदीग्राम में तपस्या कर रहे भगवान भरत ने हनुमान जी पर बाण से प्रहार किया था, हनुमान जी नंदीग्राम में जा गिरे, जबकि श्री भरत जी द्वारा चलाया गया बाण हलकारा का पुरवा व तकपुरा गांव के बीच गिरा था, मान्यता के अनुसार जहां पर बाण गिरा था वहीं पर यह रामनवमी वृक्ष उत्पन्न हुआ, जिसके तनो और पत्तों पर राम नाम उगता रहता हैं।
कब हुई इस वृक्ष की खोज
वृक्ष की पूजा करने वाले बिहारी बाबा का कहना है कि इस वृक्ष को उन्होंने 1972 में हनुमान जी की कृपा से खोजा था, ईट भट्ठा संचालकों ने इस वृक्ष को काट दिया था लेकिन प्रभु राम की कृपा वहीं पर दूसरा वृक्ष उग आया। इस स्थान पर सन् 1974 से अमावस्या तिथि पर मेला लगता है। स्थानीय लोगों के अनुसार रामनामी पेड़ के दर्शन से उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। ग्रामीणों ने यह भी बताया कि बिहारी बाबा को हनुमान जी ने सपने में आकर इस पेड़ के बारे में बताया था। बाबा रोज यहां पूजा करने आते हैं और गिरी हुई पत्तियों को ले जाकर सरयू में प्रवाहित करते हैं।
Published on:
04 Dec 2023 12:20 pm
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