
Ram Mandir Case : हिन्दू पक्ष ने कोर्ट में दिखाया वो हलफनामा जिसमे अयोध्या के मुस्लिमों ने माना कि उस स्थान पर था मंदिर
अयोध्या : दिल्ली के सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) में लगातार दसवें दिन भी राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद ( Ram Janm Bhoomi Babari Masjid Case ) मामले की सुनवाई की गई . सीजेआई रंजन गोगोई ( CJI Ranjan Gogoi ) की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष इस मुकदमे के एक अन्य पक्षकार गोपाल सिंह विशारद ( Gopal Singh Visharad ) के अधिवक्ता रंजीत कुमार ने अपना पक्ष रखा . जिसमें अधिवक्ता रंजीत कुमार ने कहा कि उनकी ओर से सन 1950 में मुकदमा दाखिल कराया गया था और उनका मुकदमा सूट नंबर 1 है . अधिवक्ता रंजीत कुमार ने अब्दुल गनी द्वारा दायर किए गए हलफनामे को संविधान पीठ के समक्ष रखते हुए कहा कि हलफनामे में यह स्पष्ट रूप से लिखा है कि अयोध्या ( Ayodhya ) में मस्जिद ( Babari Masjid ) का निर्माण राम ( Ram Mandir Ayodhya ) के मंदिर को तोड़कर किया गया था . इस घटना के बाद मुस्लिम समुदाय के लोगों ने वहां नमाज पढ़ना बंद कर दिया ,लेकिन हिंदुओं ने जन्म स्थान के महत्व को मानते हुए वहां पूजा-अर्चना जारी रखी थी .
सुप्रीम कोर्ट में चल रही राम जन्म भूमि बाबरी मस्जिद केस की नियमित सुनवाई का दसवां दिन
अधिवक्ता रंजीत कुमार ने कोर्ट के समक्ष कहा कि आज से पूर्व हुई मुकदमे की सुनवाई के दौरान अधिवक्ता परासरण और वैद्यनाथन द्वारा दिए गए उन तर्कों से सहमत हैं जो यह साबित करते हैं कि उक्त भूमि खुद में देवभूमि है और भगवान राम के उपासक होने के कारण वहां पर पूजा अर्चना करना उनका अधिकार है , जिसे हटाया नहीं जा सकता .यह वही स्थान है जहां भगवान राम का जन्म हुआ था और वह उसी स्थान पर पूजा करने का अधिकार मांग रहे हैं . दसवें दिन की सुनवाई के दौरान सबसे अहम तथ्य के रूप में गोपाल सिंह विशारद के अधिवक्ता रंजीत कुमार ने संविधान पीठ के सदस्यों के समक्ष कुछ मुसलमानों द्वारा फैजाबाद जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष 1950 में दायर किए गए हलफनामे को पेश किया जिसमें सभी ने कहा है कि विवादित जमीन ( Ram Janm Bhoomi ) पर मंदिर था और उसे मस्जिद बनाने के लिए तोड़ा गया .
Published on:
22 Aug 2019 12:48 pm
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