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आस्था : राम की नगरी में मौजूद इस किले में आज भी होती है महाराजा सुग्रीव की पूजा

पौराणिक कथानक के अनुसार इस स्थान पर दर्शन मात्र से दर्शन करने वाले व्यक्ति के शत्रुओं का नाश हो जाता है

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Sugreev Kila Ayodhya holds worship of Maharaja Sugriva

Sugreev Kila

अयोध्या : मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की पावन जन्मस्थली अयोध्या में मौजूद लगभग हर मंदिर से जुड़ी कोई न कोई कथा और कहानी ज़रूर है ,यह वो पावन भूमि है जहां स्वयं भगवान श्री विष्णु ने मनुष्य रूप में अवतार लिया और अपनी लीलाएं की . इस पौराणिक नगरी का इतिहास बेहद पावन है ,इसी पवित्र नगरी में राम जन्मभूमि परिसर के पास स्थित सुग्रीव किला अपने आप में एक ऐसा ऐतिहासिक और पौराणिक स्थान है जिसके दर्शन मात्र से सभी शत्रु समाप्त हो जाते है . इस प्राचीन किले का निर्माण त्रेतायुग में महाराजा भरत ने भगवान श्री राम के लंका पर विजय प्राप्त कर अयोध्या वापस लौटने के समय भगवान श्री राम के स्वागत के लिए माणियो से बनवाया था . जिसके बाद अयोध्या के राजा भगवान श्री राम ने इस स्थान को महाराजा सुग्रीव को अयोध्या में रहने के लिए के लिए दे दिया था . तभी से यह प्रसिद्ध स्थान सुग्रीव किला के नाम से जाना जाता है आज भी इस स्थान की पौराणिकता पुरातत्व विभाग में दर्ज है .

पौराणिक कथानक के अनुसार इस स्थान पर दर्शन मात्र से दर्शन करने वाले व्यक्ति के शत्रुओं का नाश हो जाता है

अयोध्या में श्री राम जन्म भूमि परिसर के बेहद करीब स्थित अत्यंत पौराणिक स्थल सुग्रीव किला को अयोध्या की पुनः स्थापना के दौरान महाराजा विक्रमादित्य ने इस किले का भी जीर्णोद्धार कराया था . इस मंदिर में आज भी भगवान श्री राम माता सीता तथा लक्ष्मण भरत शत्रुहन के साथ राजा सुग्रीव की भी पूजा होती है .इस स्थान के इतिहास का वर्णन करते हुए जगद्गुरु पुरुषोत्तमाचार्य जी महाराज बताते हैं कि भगवान श्री राम ने वनवास जाने से पहले महाराजा भरत को इस स्थान पर रखे आभूषण हीरे जवाहरात और माणिक्य की रक्षा करने के लिए कहा था . 14 वर्षो के उपरान्त जब राजा राम वापस अयोध्या लौटे तो भरत महाराज ने इस स्थान पर मौजूद मणियों से एक किला भगवान श्री राम के स्वागत के लिए बनवा दिया था . जब 14 वर्ष बाद श्री राम अयोध्या को लौटे तो सुग्रीव महाराज भी उनके साथ थे . भगवान श्री राम ने अयोध्या पहुचते चमचमाते महलों को देख कर भरत से पूछा कि यह महल पहले तो नहीं था तो भरत ने आप के स्वागत में बनाये जाने की बात कही ,इसके बाद भगवान राम ने कहा कि लंका पर विजय प्राप्त करने में मेरे अलावा महाराजा सुग्रीव का भी योगदान था जिसके बाद भगवान श्री राम ने यह किला महाराजा सुग्रीव को दे दिया . तब से यह स्थान सुग्रीव किला के नाम से प्रसिद्ध है .