
Ram Mandir Case : सुप्रीम कोर्ट में हिन्दू पक्ष की दलील रामलला नाबालिग कोई कैसे छीन सकता है उनकी संपत्ति
अयोध्या : सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) में चल रही बाबरी मस्जिद राम मंदिर मुकदमे की सुनवाई के नौवें दिन चीफ जस्टिस आफ इंडिया ( CJI ) रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष रामलला विराजमान ( Ramlala Virajman ) के वरिष्ठ अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन ने रामलला के पक्ष में अपनी दलीलें रखी . इस दौरान अधिवक्ता ने रामलला ( Ramlala ) को नाबालिग बताते हुए तर्क दिया की नाबालिग की संपत्ति को ना तो बेचा जा सकता है और ना ही छीना जा सकता है . जिरह के दौरान अधिवक्ता वैद्यनाथन ने कहा कि अगर जन्म स्थान देवता है अगर संपत्ति खुद में देवता है तो भूमि के मालिकाना हक का दावा कोई और नहीं कर सकता, कोई भी बाबरी मस्जिद ( Babari Masjid ) के आधार पर उक्त संपत्ति पर अपने कब्जे का दावा नहीं कर सकता .
सुप्रीम कोर्ट में रामलला विराजमान के अधिवक्ता ने कहा जिस तरह मुसलमानों के लिए मक्का वैसे ही हिन्दुओं के लिए अयोध्या
वरिष्ठ अधिवक्ता वैद्यनाथन ने कहा कि अगर वहां पर कोई मंदिर नहीं था कोई देवता नहीं है तो भी लोगों की जन्मभूमि ( Shri Ram Janm Bhoomi ) के प्रति आस्था है .वहां पर मूर्ति रखना उस स्थान को पवित्रता प्रदान करता है . बताते चलें कि इससे पूर्व आठवें दिन की सुनवाई के दौरान रामलला विराजमान के अधिवक्ता ने दलील दी थी उस स्थान पर भगवान विष्णु का विशाल मंदिर था . मस्जिद बनाए जाने के बाद भी वहां हिंदू पूजा अर्चना करते थे . जिस तरह से मुसलमानों के लिए मक्का ( makka ) है उसी तरह से हिंदुओं के लिए अयोध्या ( Ayodhya ) का महत्व है . उस स्थान पर मौजूद शिला पट पर मगरमच्छ और कछुए की तस्वीरें मिलने से अस्पष्ट है कि इनका संबंध हिंदू धर्म ( Hindu Dharm ) से ही है इनका इस्लाम धर्म से कोई लेना-देना नहीं था .
Published on:
21 Aug 2019 02:59 pm
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