scriptराम मंदिर निर्माण में बाधक बना है वास्तुदोष | Vastu faults become a hindrance in construction of Ram temple | Patrika News

राम मंदिर निर्माण में बाधक बना है वास्तुदोष

locationअयोध्याPublished: May 31, 2021 03:39:33 pm

Submitted by:

Neeraj Patel

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने कहा – परिसर का आकार आयताकार और वर्गाकार देकर दूर करेंगे समस्या

Ram temple

Vastu faults become a hindrance in construction of Ram temple

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
अयोध्या. रामनगरी अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण की तेज होती प्रक्रिया के साथ ही रामजन्मभूमि परिसर को वास्तुदोष से मुक्त करने की योजना परवान चढ़ रही है। यहां पूजन अर्चन के साथ ही इस भूमि के परिक्षेत्र की माप को भी दुरुस्त किया जा रहा है। दरअसल, जन्मभूमि परिसर (70 एकड़) भूमि की रचना वास्तु के प्रतिकूल है। इसी वजह से श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट इसके आस-पास की भूमि की खरीद करने में जुटा है। जैसे जैसे भूमि की खरीदारी आगे बढ़ रही है, वैसे न सिर्फ इसकी माप सटीक हो रही है बल्कि, वास्तु संरचना भी ठीक होने लगी है। अब तक रामकोट में अलग-अलग भू स्वामियों से तकरीबन चार एकड़ जमीन की खरीदारी हो चुकी है। मंदिर निर्माण में वास्तुदोष दूर करने के लिए परिसर के पूर्वोत्तर व पश्चिम दिशा में अधिक भूमि की तलाश है।

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने मंदिर निर्माण में वास्तुदोष दूर करने के लिए परिसर के पूर्वोत्तर व पश्चिम दिशा में अधिक भूमि की तलाश को प्राथमिकता के तौर पर लिया है। परिसर को भूमि खरीद से ही आयताकार व वर्गाकार आकार देकर समस्या दूर करेंगे। फीकरेराम मंदिर को परिसर का हिस्सा बनाया जा चुका है। अभी पांच एकड़ भूमि पर राम मंदिर निर्माण के लिए नींव की ढलाई का कार्य चल रहा है। विस्तारित क्षेत्र में तमाम प्रकल्प भी विकसित करने का प्रस्ताव है। इस विस्तार का जिम्मा ट्रस्ट के सदस्य डॉ.अनिल मिश्र को दिया गया है। अब तक श्रीराम न्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने रामकोट राजस्व ग्राम (कोटरामचंदर) में तकरीबन चार एकड़ सहित कुल सात एकड़ भूमि खरीदी है।

अनुभवी इंजीनियर की निगरानी में हो रहा निर्माण

राम मंदिर निर्माण कार्य को फुलप्रूफ बनाने के लिए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने देश के पांच शीर्ष व अनुभवी इंजीनियर्स को अलग से मॉनीटरिंग व कार्यदायी संस्थाओं के सहयोग की जिम्मेदारी सौंपी है। ये मंदिर निर्माण में पूर्णकालिक सहयोगी की भांति कार्य कर रहे हैं। इनका निवास भी जन्मभूमि परिसर में ही है। सभी संघ की पृष्ठभूमि वाले हैं। ये इंजीनियर्स अलग-अलग क्षेत्रों के मर्मज्ञ हैं। एलएंडटी व टाटा कंसल्टेंसी के अतिरिक्त निर्माण कार्य में इन सभी की राय अहम होती है। महाराष्ट्र के औरंगाबाद निवासी जगदीश आफले, तमिलनाड़ु के मदुरै निवासी कालीमुत्तु, अविनाश संगमनेरकर, दिल्ली निवासी सुदर्शन कुमार और पाइलिंग विशेषज्ञ राजेंद्र त्रिपाठी हैं। ये इंजीनियर्स ट्रस्ट व निर्माण समिति के संपर्क में रह कर निर्माण कार्यों के वस्तुस्थिति से उन्हें अवगत कराते हैं।

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