बता दें कि आजमगढ़ बीजेपी के लिए हमेशा से अबुझ पहेली रहा है। पार्टी यहां राम लहर और मोदी लहर में भी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई थी। वर्ष 2017 में जहां बीजेपी को यूपी में प्रचंड बहुमत मिला वहीं पार्टी आजमगढ़ में मात्र एक सीट पर जीत हासिल कर सकी थी। पिछले चुनाव में पहली बार पार्टी चार सीटों पर रनर रही थी जिससे पार्टी को उम्मीद है कि इस बार वह बड़ा करिश्मा करने में सफल होगी। टिकट बटवारें में भी पार्टी की यह सोच साफ दिख रही है। जिन छह सीटों पर पार्टी ने टिकट जारी किया है उसमें जातीय समीकरण साधने की पूरी कोशिश की है।
आजमगढ़ विधानसभा सीट
बीजेपी न सदर सीट पर एक बार फिर अखिलेश मिश्र गुड्डू को मैदान में उतारा है। पिछले चुनाव में अखिलेश मिश्र गुड्डू यहां दूसरे नंबर पर थे। बसपा के बाहुबली भूपेंद्र सिंह मुन्ना ने यहां बीजेपी का बड़ा नुकसान किया था। इस बार बसपा से सुशील कुमार सिंह मैदान में हैं। ऐसे में फिर त्रिकाणीय संघर्ष की संभावना है।
लालगंज विधानसभा सीट
लालगंज सीट पिछले चुनाव में बीजेपी 2 हजार के मामूली अंतर से हारी थी। पिछले चुनाव में दारोगा सरोज पार्टी के प्रत्याशी थे लेकिन अब वे समाजवादी पार्टी में है। इस सुरक्षित सीट पर दलितों को साधने के लिए बीजेपी ने पूर्व सांसद नीलम सोनकर को मैदान में उतार दिया है। जबकि सपा से बेचई सरोज मैदान में है। जबकि बसपा से विधायक अरिमर्दन आजाद का लड़ना तय है।
दीदारगंज विधानसभा सीट
दीदारगंज में बीजेपी ने डा. कृष्ण मुरारी विश्वकर्मा को मैदान में उतारा है। बसपा ने यहां बाहुबली भूपेंद्र सिंह मुन्ना को मैदान में उतारा है तो सपा से पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सुखदेव राजभर के पुत्र कमलाकांत राजभर मैदान में हैं। इस सीट पर भी त्रिकोणीय संघर्ष की संभावना है। यहां राजभर मतदाता निर्णायक की भूमिका में है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि वे किसके साथ खड़े होते है।
निजामाबाद विधानसभा सीट
निजामाबाद विधानसभा सीट पर बीजेपी ने मनोज यादव को टिकट दिया है। मनोज यादव पूर्व मंत्री बाहुबली अंगद यादव के भतीजे हैं। अंगद यहां से तीन बार बसपा के विधायक रहे हैं। पिछले कुछ वर्षो से जेल में है। वहीं सपा ने फिर चार बार के विधायक आलमबदी को मैदान में उतारा है। यही नहीं कांग्रेस ने भी यहां अनिल यादव पर दाव लगाया है तो बसपा से भी यादव प्रत्याशी लड़ने की संभावना है। ऐसे में तीन यादव उम्मीदवार मैदान में होेने से लड़ाई दिलचस्प होने की संभावना है।
गोपालपुर विधानसभा सीट
गोपालपुर विधानसभा सीट पर बीजेपी ने युवा भूमिहार नेता सतेंद्र राय को मैदान में उतारा है। यहां सपा ने विधायक नफीस अहमद पर दोबारा दाव लगाया है। सपा और कांग्रेस ने अपने पत्ते नहीं खोले है। यहां समाजवादी पार्टी में विद्रोह का फायदा उठाने की कोशिश बसपा और भाजपा करेगी।
मेंहनगर सीट
मेंहनगर सुरक्षित सीट पर बीजेपी ने एक बार फिर मंजू सरोज पर दाव लगाया है। मंजू सरोज ने वर्ष 2017 में सपा और बसपा को कड़ी टक्कर दी थी। क्षेत्र में पासी मतों की संख्या काफी अधिक है। वहीं इस सीट पर सवर्ण हमेंशा निर्णायक की भूमिका में रहे हैं। सपा और बसपा ने अभी यहां अपने पत्तेे नहीं खोले हैं।
जातीय समीकरण साधने की कोशिश
बीजेपी ने जिस तरह से टिकट का बटवारा किया है उससे साफ है कि पार्टी ने खुलकर जातीय समीकरण साधने की कोशिश की है। अभी अतरौलिया, मुबारकपुर, सगड़ी व फूलपुर पवई सीट पर पार्टी ने अपने पत्ते नहीं खोले है। माना जा रहा है कि अतरौलिया सीट बीजेपी गठबंधन के साथ संजय निषाद को देगी और कोशिश करेगी कि यहां किसी निषाद को टिकट देकर इस जाति के लोगों को साधाने की कोशिश करेगी। वहीं अन्य तीन सीटों पर कुर्मी, जायसवाल व क्षत्रिय उम्मीदवार दिया जा सकता है।