24 साल पहले मायावती ने रमाकांत यादव के किले को ढहाने के लिए अकबर अहमद डंपी पर दाव खेला था। उस समय अपने बेबाक अंदाज, बड़बोलेपन के लिए डंपी ने केवल मशहूर हुए बल्कि रमाकांत यादव के मजबूत किले को ढहा दिया था। उन्होंने रमाकांत यादव को दो बार मात दी लेकिन दोनों के बीच उस दौर में हुए विवाद एक बार फिर चर्चा में है। रमाकांत यादव को कोर्ट ने न्यायिक हिरासत में भेज दिया है तो डंपी पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है।
पत्रिका न्यूज नेटवर्क
आजमगढ़. वर्ष 1998 का लोकसभा चुनाव जिले के लोग आज भी यादव करते हैं। कारण कि इस चुनाव में न केवल बाहुबली रमाकांत यादव का किला ढ़हा था बल्कि चुनाव के दौरान रमाकांत और अकबर अहमद डंपी के कई बार विवाद भी हुए थे। चुनाव प्रचार के दौरान अकबर अहमद डंपी के विवादित बयान और बड़बोलापन भी चर्चा का विषय रहा लेकिन उस समय दोनों नेताओं के बीच हुई फायरिंग अब इनके लिए मुसीबत बन चुकी है। रमाकांत यादव तो गैर जमानती वारंट के बाद कोर्ट में सेरेंडर कर जेल पहुंच गए हैं लेकिन डंपी पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है।
बता दें कि वर्ष वर्ष 1985 में राजनीति की शुरूआत करने वाले रमाकांत यादव की तूती बोलती थी। रमाकांत यादव यादव वर्ष 1985, 1989, 1991 व 1993 में फूूलपुर पवई विधानसभा से लगातार विधायक चुने गए थे। इसके बाद वर्ष 1996 में सपा के टिकट पर वे सांसद चुने गए। इसके बाद वर्ष 1998 के लोकसभा चुनाव में बसपा ने मुस्लिम दाव खेला और संजय गांधी के करीबी बाहुबली अकबर अहमद डंपी को मैदान में उतारा। वहीं सपा ने फिर बाहुबली रमाकांत पर दाव लगाया। यह आजमगढ़ का अब तक का सबसे चर्चित चुनाव रहा।
इस चुनाव में डंपी ने सीधे तौर पर रमाकांत को टार्गेट किया। डंपी के डायलाग देश में सिर्फ दो गुंडे हुए एक संजय गांधी और दूसरा अकबर अहमद डंपी ये तीसरा रमाकांत कौन है। इस दौरान डंपी ने खुले मंच से बाहुबली रमाकांत के बारे में अपशब्द का प्रयोग भी किया। अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि दोनों के बच इतनी तल्खी बढ़ गई थी कि जब 17 फरवरी 1998 को रमाकांत यादव और डंपी अंबारी चौक पर आमने सामने हुए तो असलहे निकल गए। यह अलग बात है कि दोनों तरफ से सिर्फ हवाई फायरिंग की गयी।
अपनी भाषा के दम पर ही डंपी रमाकांत विरोधियों को अपने पक्ष में लामबंद करने में सफल रहे और 2.53 लाख वोट हासिल कर चुनाव जीत लिया। रमाकांत यादव को 2.48 लाख वोट मिले। दोनों के बीच चुनाव के दौरान हुई फायरिंग के मामले में फूलपुर कोतवाली में सब इंस्पेक्टर वेद प्रकाश सिंह ने रमाकांत यादव उमाकांत यादव, झुनकू सिंह, अकबर अहमद डंपी सहित 79 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। बाद में सभी 79 लोगों के विरुद्ध चार्जशीट न्यायालय में प्रेषित की गयी। इस मामले में रमाकांत यादव ने की याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अधीनस्थ न्यायालय की कार्रवाई पर रोक लगा दी थी।
इसके बाद दिसंबर 2021 में हाईकोर्ट ने याचिका निस्तारित करते हुए सांसद समेत सभी आरोपियों को न्यायालय में आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया। रमाकांत यादव, अकबर अहमद डंपी ने कोर्ट में सरेंडर नहीं किया तो एमपी एमएलए की अधीनस्थ न्यायालय ने सभी आरोपियों के विरुद्ध गैर जमानती वारंट जारी कर दिया। रमाकांत यादव ने सोमवार को अदालत में समपर्ण किया तो उन्होंने न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया। वहीं अकबर अहमद डंपी की पुलिस की तलाश है।
वैसे दोनों नेताओं के बीच तल्खी 1998 के चुनाव के बाद भी कम नहीं हुई थी। वर्ष 1999 के चुनाव में भी दोनों उसी तेवर के साथ मैदान में उतरे थे लेकिन इस बार बाजी रमाकांत यादव के हाथ लगी थी। रमाकांत 2.22 लाख वोट पाकर विजई रहे थे। जबकि डंपी को 2.7 लाख वोट मिले थे। इसके बाद दोनों का वर्ष 2008 के उपचुनाव में आमना सामना हुआ। रमाकांत यादव बीजेपी के टिकट पर मैदान में उतरे तो बसपा ने डंपी को मैदान में उतारा। इस चुनाव में डंपी ने फिर जीत हासिल की थी।