डिंपल के खिलाफ सुभासपा ने रमाकांत कश्यप को बनाया था प्रत्याशी
मैनपुरी सीट मुलायम सिंह यादव की बहू डिंपल यादव सपा के टिकट पर मैदान में हैं। सपा से गठबंधन टूटने के बाद सुभासपा प्रमुख लगातार सपा मुखिया अखिलेश यादव को चुनौती देने की कोशिश कर रहे हैं। इसीलिए उपचुनाव में उन्होंने डिंपल के खिलाफ रमाकांत कश्यप को मैदान में उतारा था। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के मुखिया ओमप्रकाश राजभर ने सपा मुखिया अखिलेश यादव को सीधी चुनौती दी थी कि वे सपा का किला ढहाएंगे।
रमाकांत का पर्चा खारिज होने से ओमप्रकाश की रणनीति फेल
मैनपुर में कश्यप मतदाता करीब 1.5 लाख है। इसलिए माना जा रहा था कि डिंपल की मुश्किल बढ़ेगी। इसी बीच नामाकंन प्रक्रिया पूरी होने के बाद प्रशासन ने नामाकंन पत्रों की जांच कराई। नामाकंन पत्र में कमी दिखाकर सुभासपा प्रत्याशी रमाकांत कश्यप, सुनील कुमार मिश्र, राम कुमार, उर्मिला देवी कपिंजल यादव, महेश चंद्र शर्मा, विद्यावती का पर्चा खारिज कर दिया गया। रमाकांत का पर्चा खारिज होने के बाद से ही पार्टी सपा और बीजेपी पर हमलावर है।
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इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल हुई याचिका
नामाकंन निरस्त होने के बाद सुभासपा प्रत्याशी इटावा निवासी रमाकांत कश्यप ने हाईकोर्ट की शरण ली है। रमाकांत कश्यप ने अपने अधिवक्ता रामकृपाल यादव के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में कहा कि उनके नामांकन पत्र में नामांकन करने के बाद कटिंग की गई है।
एस काटकर लिखा गया नो, फिर खारिज किया पर्चा
याचिका में आरोप लगाया गया है कि उनके द्वारा दिया गया शपथपत्र भी अमान्य कर दिया गया है। शपथ वाले कॉलम में नामांकन के बाद एस काटकर नो लिख दिया गया है। जिस आधार पर उनका नामांकन निरस्त कर दिया गया है। प्रशासन ने यह कार्रवाई सत्ता के दबाव में प्रत्याशी विशेष को जिताने के लिए की है।
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हाईकोर्ट ने मंजूर की रमाकांत की याचिका
सुभासपा प्रत्याशी रमाकांत कश्यप की हाईकोर्ट ने सुनवाई के लिए मंजूर कर ली है। रमाकांत कश्यप का आरोप है कि प्रशासन ने नियम के खिलाफ जाकर नामांकन निरस्त किया है। साजिश के तहत उनके शपथ पत्र में कटिंग की गई। ताकि उन्हें रास्ते से हटाया जा सके।
हाईकोर्ट में 29 नवंबर को होगी सुनवाई
रमाकांत कश्यप के अधिवक्ता रामकृपाल यादव ने बताया कि हाईकोर्ट में याचिका सुनवाई के लिए मंजूर हो गई है। 29 नवंबर पर याचिका को सुनवाई होगी। हमें पूरा भरोसा है कि याची के साथ न्याय होगा। प्रशासन को अपना फैसला बदलना होगा।