कुछ ऐसा ही हाल ईट भट्ठों, जनरेटर, वाहन आदि के मामलों में भी है। बस नोटिस तक सारी कवायद सिमटी है। बात यहीं समाप्त नहीं होती है। बिना अपशिष्ट निस्तारण की व्यवस्था के चल रहे पशु वधशाला को बंद कराने के लिए शासन द्वारा वर्ष 2012 में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ ही जिला प्रशासन, विद्युत विभाग, नगरपालिका को अलग अलग निर्देश जारी किया गया लेकिन आज भी वधशाला में पशुओं का वध जारी है।