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UP Assembly Election 2022: पिछले 20 सालों से निजामाबाद सीट पर है सपा का कब्जा, वर्चश्व तोड़ना नहीं होगा आसान

UP Assembly Election 2022 आजमगढ़ जिले की निजामाबाद विधानसभा सीट पर पिछले 20 सालों से सपा का कब्जा है जबकि बीजेपी यहां आज तक खाता नहीं खोल पाई है। रहा सवाल कांग्रेस का तो सपा बसपा के उदय के बाद पार्टी के प्रत्याशी जमानत नहीं बचा पाए है। यहां 70 के दशक में एक बार जनसंघ खाता खोलने में जरूर सफल हुई थी। इस चुनाव में भी सपा से सीधे मुकाबले का आसार दिख रहा है।

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प्रतीकात्मक फोटो

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पत्रिका न्यूज नेटवर्क
आजमगढ़. UP Assembly Election 2022 जिले की निजामाबाद विधानसभा ब्लैक पाटरी उद्योग को लेकर काफी प्रसिद्ध है। यहां का ब्लैक पाटरी पूरे विश्व में मशहूर है। यहां के लोगों ने बीजेपी को छोड़ बाकी सभी दलों को मौका दिया। यहां तक कि जनसंघ को भी मौका दिया लेकिन यहां का अपेक्षित विकास नहीं हुआ। जबकि यहां ऐतिहासिक गुरुद्वारा से लेकर कई पौराणिक स्थल भी है। एक जनपद एक उत्पाद योजना में शामिल होने के बाद पाटरी के अच्छे दिन जरूर आए हैं लेकिन सड़क, बिजली, पानी आदि समस्याओं से यहां के लोग आज भी जूझ रहे है। पिछले चार चुनाव से यहां सपा का कब्जा है। सपा बसपा के उदय के बाद से यहां कांग्रेस प्रत्याशी जमानत बचाने के लिए तरसते रहे हैं। बसपा भी यहां तीन बार कब्जा कर चुकी है। इस चुनाव में भी कड़ा मुकाबला होने का आसार है।

बता दें कि निजामाबाद विधानसभा क्षेत्र में सर्वाधिक पौराणिक और धार्मिक स्थल है। निजामाबाद कस्बा स्थित गुरुद्वारा चरण पादुका साहिब में गुरुनानक देव से लेकर सभी गुरुओं ने तपस्या की है। इसके अलावा दुर्वासा और दत्तात्रेय आश्रम भी इसी क्षेत्र में है। इसके अलावा यहां द्रोणाचार्य आश्रम भी स्थित है। निजामाबाद का ब्लैक पाटरी उद्योग पूरे विश्व में विख्यात है। वर्ष 2017 में सरकार ने इसे एक जनपद एक उत्पाद योजना में शामिल किया है। जिससे इसे नई पहचान मिली है। लेकिन ऐतिहासिक और पौराणिक स्थलों का आज भी अपेक्षित विकास नहीं हुआ है।

यहां सपा के आलमबदी विधायक हैं। इस चुनाव में भी वे दावेदारी कर रहे है। जबकि बीजेपी से पूर्व में चुनाव लड़ चुके विनोद राय और डा. पियुष यादव टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। वहीं कांग्रेस ने अनिल यादव को मैदान में उतारा है। बसपा से किसी मुस्लिम के मैदान में उतरने की संभावना है। यहां लड़ाई दिलचस्प होने की संभावना है। गौर करें तो क्षेत्रीय दलों के उदय के बाद जनपद की सभी सीटों पर कांग्रेस अपना जनाधार खोती गई। जनपद के निजामाबाद विधानसभा सीट से कांग्रेस के आखिरी विधायक रामबचन रहे। जिन्होंने 1989 में जनता दल के मसूद को हराकर इस सीट पर कब्जा जमाया था। इसके बाद लगातार दो बार 1991 और 1993 में बसपा के टिकट पर अंगद यादव ने जीत हासिल की। उनके विजय के सिलसिले को सपा के आलमबदी ने 1996 में तोड़ा।

फिर 2002 में हुए विधानसभा चुनाव में बसपा ने कलामुद्दीन को अपना उम्मीदवार बनाया। इस चुनाव में भी आलमबदी ने जीत हासिल की। लगातार दो बार जीतने के बाद 2007 में बसपा के टिकट पर मैदान में उतरे अंगद यादव ने आलमबदी के विजयी अभियान पर रोक लगाई और उन्हें हराकर जीत हासिल की लेकिन 2012 के हुए चुनाव में आलमबदी ने एक बार फिर इस सीट पर कब्जा जमाया। इसके बाद 2017 में भी आलमबदी आजमी की जीत का सिलसिला जारी रहा। उन्होंने बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे पूर्व मंत्री चंद्रदेव राम यादव करैली को हराया। भाजपा के विनोद राय तीसरे स्थान पर थे। इसके पूर्व वर्ष 1969 में जनता पार्टी के रामवचन यादव ने यहां सेे जीत हासिल की थी। आगामी विधानसभा चुनाव भी यहां दिलचस्प होने की संभावना है।

कब कौन बना विधायक
1977 मो. मसूद जेएनपी
1980 चंद्रबली ब्रह्मचारी कांग्रेस
1985 मो. मसूद एलकेडी
1989 रामबचन कांग्रेस
1991 अंगद यादव बसपा
1993 अंगद यादव भाजपा
1996 आलमबदी सपा
2002 आलमबदी सपा
2007 अंगद यादव बसपा
2012 आलमबदी सपा
2017 आलमबदी सपा