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बसों में नहीं नजर आते है फर्स्ट टूल बॉक्स, चस्पा नहीं की किराया सूची

खटारा बसों में असुरक्षित सफर करते यात्री, गत माह हुए हादसों से नहीं ले रहे सबक, न किराया सूची चस्पा और ना ही नजर आते फस्र्ट टूल बॉक्स

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 Passengers traveling unsafely in Khatara buses

Passengers traveling unsafely in Khatara buses

बड़वानी. जिले में सडक़ मार्ग ही परिवहन का मुख्य साधन है। ऐसे में वाहनों की रेलमपेल के चलते सडक़ हादसों में लोग अपनी जान गंवाते है। वहीं सार्वजनिक रूप से यात्री बसें ही लोगों के आवागमन का माध्यम है। जिला मुख्यालय पर प्रतिदिन 250 से अधिक बसों की आवाजाही रहती है। इन बसों से हजारों यात्री अपने गतंव्य को रवाना होते हैं और शहर पहुंचते है। हालांकि नियमानुसार अधिकांश बसों में किराया सूची, फस्र्ट टूल बॉक्स, आपातकालिन द्वार नजर नहीं आते।
वहीं कई खटारा बसों का संचालन भी हो रहा है। ऐसी अव्यवस्थाओं के बीच हजारों यात्री प्रतिदिन असुरक्षित सफर करने को मजबूर है। बता दें कि गत माह ही 8 नवंबर को मुख्यालय से 12 किमी दूर ग्राम तलून में खरगोन से बड़वानी आ रही एक निजी यात्री बस का पिछले दोनों पहिए शासकीय स्कूल के सामने स्टेट हाईवे पर निकल गए थे। गनीमत रही थी कि इस दौरान कोई जनहानि नहीं हुई। वहीं 23 नवंबर को पाटी क्षेत्र के गारा में एक यात्री बस असंतुलित होकर पलट गई थी। उसमें कई यात्री घायल हुए थे। इन हादसों के बावजूद फिलहाल जिम्मेदार कोई सबक लेते नजर नहीं आ रहे है। हालांकि यातायात पुलिस जरूर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर वाहनों की चैकिंग कर रही हैं, लेकिन संबंधित परिवहन विभाग की अब तक नींद नहीं टूटी है।
अंचल की बसों पर ध्यान देने की जरूरत
बता दें कि कृषि प्रधान जिला होने से अधिकांश आबादी ग्रामों में निवास करती है। 80 फीसदी यात्री ग्रामीण क्षेत्र के ही बसों में सफर करते है। ग्रामीण क्षेत्रों में चलने वाली कई बसों की हालत काफी खस्ता होती है। बावजूद उसमें ओव्हरलोड सवारियां भरी जाती है। नियमानुसार घटना-दुर्घटना की स्थिति के मद्देनजर बसों में आपातकालिन द्वार रखने के विशेष निर्देश हैं। अधिकांश बस वालों द्वारा खिडक़ी के कांच को ही औपचारिक आपातकालिन द्वार का रुप दे दिया है। कई बसों में इन द्वार से सटकर सीटें लगी हुई हैं, तो कई बसों में द्वार की खाली जगह पर सामग्री रखने की जगह बना ली गई है।
महिला सीट भी आरक्षित नहीं
कई यात्री बसों की हालात खस्तहाल है। मुख्य कांच पर बीमा, लायसेंस, वैद्यता, परमिट सहित अंदर किराया सूची आदि चस्पा नजर नहीं आती। महिलाओं के लिए आरक्षित सीट आरक्षित होना चाहिए, लेकिन सूचना चस्पा नहीं होने से महिलााओं को खड़े-खड़े सफर करना पड़ता है। ऐसे में बुजुर्ग महिलाओं को दिक्कतें आती है। पान-गुटका और धुम्रपान का सेवन रोकने के लिए कोई चेतावनी पटल भी नदारद हो गए है। वहीं निर्देशों के बावजूद अब तक पिछले कांच पर बड़ी-बड़ी जालियां भी नहीं हट सकी। ग्रामीण क्षेत्रों की ओर चलने वाली कई बसों में तो यात्रियों को टिकट तक नहीं दिए जाते।
फेक्ट फाइल
जिला मुख्यालय : बड़वानी
-प्रतिदिन स्टैंड से 250 से अधिक बसें संचालित होती हैं
-यात्री बसों के माध्यम से 5 हजार से अधिक यात्री आवाजाही करते है।
-ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित कई बसों की हालत नजर आती हैं खराब
-मप्र सहित गुजरात-महाराष्ट्र प्रदेश्र तक आना-जाना करती हैं बसें
हादसों पर नजर
8 नवंबर 2022
जिला मुख्यालय से 8 किमी दूर ग्राम तलून के बोरलाय रोड पर बस का पिछला एक्सल टूट गया। इससे बस अनियंत्रित होकर सडक़ किनारे रूक गई। गनीमत रही कि बड़ा हादसा होने से टल गया। जिस जगह हादसा हुआ, उसके सामने ही शासकीय स्कूल थी। साथ ही कुछ दूर आगे तेजा जी मंदिर व गांव का मुख्य स्थान था। संबंधित विभाग ने मौका पंचनामा बनाया, लेकिन बसों की जांच की ओर अब तक कोई ध्यान नहीं।
23 नवंबर
इसी तरह जिले के पाटी विकासखंड के ग्राम गारा में सिलावद की ओर जा रही एक निजी यात्री बस अनियंत्रित होकर पलट गई थी। इस हादसे में किसी की जान नहीं गई। हालांकि हादसे में कुछ लोग गंभीर रुप से घायल होने पर जिला अस्पताल रैफर किया था। पुलिस ने बस जब्त की थी। अब भी अंचल के क्षेत्र में ऐसी अनफिट बसों का संचालन होता नजर आता है।