जानकारी के मुताबिक लूनियावास पंचायत मुख्यालय पर ओमप्रकाश पारीक का निधन सोमवार को हो गया था। ग्रामीण व परिजन शव (Dead body) को अंतिम संस्कार के लिए बावड़ी श्मशान घाट पहुंचे और दाह संस्कार की तैयारियां शुरू की। इसी बीच चिता प्रज्वलित करने के लिए लाए गए कंडों की हांडी से धुंआ निकला तो पेड़ पर लगा मधुमक्खियों का छत्ता छिड़ गया और हजारों की संख्या में मधुमक्खियां श्मशान में उडऩे लगी। जिससे अफरा-तफरी मच गई, ग्रामीण बचने के लिए भागने लगे।
मधुमक्खियों के हमले के बाद श्मशान में भगदड़ मच गई। लोग बचने के इधर-उधर भागने लगे। कोई अपने तौलिए से सिर व मुंह को ढंक रहा था तो कोई पेड़ों के झुंड में छिप गया ताकि डंक से बचा जा सके। कुछ ग्रामीणों को बचने के लिए एकाएक जगह नहीं मिली तो वे करीब आधा किलोमीटर दूर तक दौड़ भागे।
मधुमक्खियों के हमले में मृतक के भाई मामराज पारीक, पोते आयुष सहित शुभम, बंशीधर, रौनक, राजेन्द्र, महेश सहित दर्जनों लोग जख्मी हो गए । ग्रामीण शव को छोड़कर दूर भाग गए ओर बचाव किया। बाद में एंबुलेंस को फोन कर बुलाया गया और घायलों को पचार पीएचसी पहुंचाया। सूचना पर जीएसएस अध्यक्ष जितेन्द्रपाल सिंह, भामाशाह रामपाल गीला, पंचायत सहायक भंवर सैन, कनिष्ठ लिपिक रतन यादव, उपसरपंच प्रकाश मीणा, पूर्व उपसरपंच किशन लाल यादव आदि ने श्मशान पहुंचकर उपखंड अधिकारी सांभर को घटना की जानकारी दी। जिसपर उपखण्ड अधिकारी ने वन विभाग के कर्मचारी विक्रम सिंह एवं जीवणराम को मौके पर भेजा। 4 घंटे बाद शव को दूसरी जगह ले जाकर दाह संस्कार किया गया।