
अतिक्रमण की जद में छापरवाड़ा बांध
दूदू. राज्य सरकार व जिला प्रशासन की अनदेखी के कारण बांध व तालाब दुर्दशा का शिकार हो रहे हैं, जबकि ऐतिहासिक जलाशय दशकों से लोगों का गला तर कर रहे थे और खेतों को सींच रहे थे। लेकिन अतिक्रमियों ने अपने फायदे के लिए कैचमेंट एरिया में अतिक्रमण कर लिए। नतीजन बांधों में पानी की आवक रुक गई। इसकी बानगी है दूदू का छापरवाड़ा बांध जो ढाई दशक से पानी की बाट जोह रहा है।
छापरवाड़ा बांध के कैचमेंट एरिया में लोगों ने अवरोधक लगा दिए या फिर अवैध पक्के निर्माण कर लिए। नहरें जर्जर हो जाने व किंकर,बबूलों के फैलने से बांधों में पानी आने के रास्ते बंद हो गए। यह बांध 1995 से लेकर अब तक पूरा नहीं भरा है और चादर भी नहीं चली है। इसका मुख्य कारण बांध के ऊपरी हिस्से पर कई जगह एनिकट का निर्माण होना व छह मोरा नाला में जगह-जगह अतिक्रमण।
यह रहा इतिहास
जल संसाधन विभाग के अनुसार राजा मानसिंह प्रथम के शासन में वर्ष 1894 में मात्र 7.30 लाख रुपए की लागत से छापवाड़ा बंध बनाया गया था। बांध का भराव 17 फीट और कैचमेंट 322 स्कवायर माइल है। बांध का अधिकतम सिंचित क्षेत्र 47468 एकड़ है, जबकि बांध भरने पर 29000 एकड़ भूमि की सिंचाई हो सकती है। बांध से दूदू, फागी व टोंक जिले की मालपुरा तहसील के कई किसानों को फायदा मिलता है।
बांध से उत्तरी व दक्षिणी नहरें बनवाई गई। उत्तरी बड़ी नहर जिसकी लम्बाई 32 मील के लगभग है और यह सुल्तानिया, फागी जाकर कालख नहर में मिलती है। जहां से इन दोनों नहरों का पानी माधोराजपुरा तक सिंचाई के लिए पहुंचता है। उत्तरी निचली छोटी नहर जिसकी लम्बाई करीब 10 कि.मी. है, जो गणेशपुरा तक पानी पहुंचाती है। दक्षिण की ऊंची बड़ी नहर जो कि 27 कि.मी. है किरावल, मालपुरा तक तथा नीची छोटी नहर जिसकी लम्बाई 8 कि.मी. है बालापुरा तक पहुंचती है।
पिछली बार साढ़े पांच फीट पानी
बांध में पानी की आवक का मुख्य स्त्रोत ईंटाखोई फीडर व छह मोरा नाला है। मासी नदी को रोककर पानी छापरवाड़ा बंाध में लाया जाता है। वहीं गंगासागर बांध दूदू, बांडोलाव व धोबोलाव बांध नरैना का पानी भी छह मोरा नाला से होकर छापरवाड़ा बांध में पहुंचता है। पिछले साल भी बारिश की कमी के चलते बांध में करीब साढ़े पांच फीट पानी की आवक हुई थी।
इनका कहना है....
छापवाड़ा बांध में पानी की ईंटाखोई फीडर से मुख्य आवक है। लेकिन किकर बबूल और मरम्मत के अभाव में पानी बंाध में आने से पहले ही व्यर्थ बह जाता है। छह मोरा व पड़ासौली नाले पर जगह-जगह एनिकट निर्माण व अतिक्रमण हो जाने से कैचमेंट एरिया प्रभावित हुआ है।
- संतोष कंवर, सरपंच सुनाडिय़ा
Published on:
02 Jul 2019 11:15 pm
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