चौमूं.
शहर सहित ग्रामीण अंचल में नियमित तीन दिन से फसलों पर पाला पड़ने से किसान नुकसान को लेकर मायूस हो गए हैं। किसानों का कहना है कि पाले से सब्जी की फसल पूरी तरह से चौपट हो गई है। मटर में दाना पानी में तब्दील हो रहा है तो टमाटर झुलस गए हैं। सरसों की फसल भी चौपट हो रही है। महंगे दामों पर बीज खरीदकर अच्छी पैदावार और अच्छा मुनाफा कमाने की उम्मीद थी, लेकिन पाले से बचत तो दूर उधारी चुकानी मुश्किल हो गई है। हालांकि जिन किसानों ने सब्जियों पर लोटनल बिछा रखी है, उनको जरूर थोडी राहत है। इधर, पाले के नुकसान को लेकर कृषि विभाग के अधिकारी भी सजग हो गए हैं।
चौमूं सहायक कृषि अधिकारी सुमन यादव ने इलाके के सामाेद, हाथनोदा व बांसा का दौरा कर नुकसान का जायजा लिया और किसानों को पाले से बचाव के उपाय बताए। कृषि विशेषज्ञ में भी क्षेत्र में दौरा कर रहे है। टाकरड़ा कृषि विज्ञान केन्द्र के कृषि विशेषज्ञ नवलकिशोर गुप्ता ने बताया कि वायुमण्डलीय दशाओं को देखकर अनुमान लगाया जा सकता है कि पाला गिरने वाला है या नहीं। जब विशेष ठण्ड हो, दिन भर ठण्डी व तेज हवा चले और शाम को हवा चलना रूक जाए, रात्रि में आकाश साफ हो और वायुमण्डल में नमी की मात्रा कम हो। ऐसी परिस्थितियां उस रात में पाला गिरने की संभावना को बढा देती हैं। पाला रात में विशेषतया 12 से 4 बजे के बीच पड़ता है।
पाला पड़ने का पूर्वानुमान होने पर खेत की उत्तरी दिशा में अर्धरात्रि में सूखी घास-फूस, सूखी टहनियां, पुआल आदि को आग लगाकर धुआं कर फसलों को पाले से बचाया जा सकता है। धुआं करने से खेत में गर्मी बनी रहती है व फसलों के पौधों के चारों और तापमान में गिरावट नहीं आती है। आग इस प्रकार ढेरियां बना कर लगाए कि खेत में फसल के ऊपर धुएं की एक पतली परत बन सके। जितना अधिक खेत में धुआं फैलेगा, तापमान उतना अधिक बना रहेगा। अधिक धुआं उत्पन करने के लिए घास-फूस, सूखी टहनियां, पुआल आदि के साथ इंजन के जले हुए तेल का भी प्रयोग कर सकते हैं। साथ ही खेत में हल्की सिंचाई करे और फसलों पर गंधक के तेजाब के 0.1 प्रतिशत घोल का छिड़काव करें। (कासं) फोटो कैप्शन चौमूं के बांसा गांव में गोभी की फसल पर जमा पाला।