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#BetterHalf, #Swarnimbharat :- पिता की प्रेरणा से बेटी बनी डॉक्टर

#BetterHalf, #Swarnimbharat :- अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष... स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. शिखा मील का जन्म झुंझुनूं में हुआ था। इसके बाद उन्होंने बगड़ और पिलानी में कक्षा 12वीं तक की पढ़ाई की। उनको पढ़ाई के साथ खेलों में भी रुचि थी। उन्होंने बैडमिंटन, लॉन टेनिस और हॉकी में कई प्रतियोगिताओं में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।

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बगरू

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Narottam Sharma

Mar 08, 2020

#BetterHalf, #Swarnimbharat :- पिता की प्रेरणा से बेटी बनी डॉक्टर

#BetterHalf, #Swarnimbharat :- पिता की प्रेरणा से बेटी बनी डॉक्टर

चौमूं. पिता डॉक्टर के पेशे से जुड़े थे। उनके पास दूरदराज से रोगी दिखाने आते थे। जिनकी वे मानवता के साथ सेवा भाव से जांच कर परामर्श देकर उपचार करते थे। उनसे मुझे भी डॉक्टर बनने की प्रेरणा मिली। जैसा कि स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. शिखा मील ने बताया।
डॉ. शिखा ने बताया जन्म झुंझुनू में हुआ था। इसके बाद उन्होंने बगड़ और पिलानी में कक्षा 12वीं तक की पढ़ाई की। उनको पढ़ाई के साथ खेलों में भी रुचि थी। उन्होंने बैडमिंटन, लॉन टेनिस और हॉकी में कई प्रतियोगिताओं में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। वह कक्षा में हमेशा अव्वल रहने के साथ हॉकी में जिला स्तर व लॉन टेनिस में राज्यस्तर पर खेली। इतना ही नहीं दसवीं और 12वीं बोर्ड परीक्षाओं में जिले में पहले 20 स्थान में अपनी दक्षिता दिखाई। पिताजी को हमेशा डॉक्टर के रूप में जरूरतमंद व गंभीर मरीजों का इलाज करने करते देखा। तो डॉक्टर बनने की प्रेरणा मिली। 12वीं पास करने के बाद उन्होंने कोटा से कोचिंग की। उन्होंने पहले प्रयास में पीएमटी में राजस्थान में आठवीं रैंक के साथ सीपीएमटी में भी सिलेक्शन हुआ। इसके बाद डॉ. मील को एमबीबीएस करने के लिए सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज जयपुर मिला तो डॉक्टर बनने की उनकी तमन्ना पूरी होने जैसा था।
वहां से उन्होंने एमबीबीएस किया। इसके बाद अहमदाबाद के प्रतिष्ठित बीजे मेडिकल कॉलेज से स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ में पोस्ट ग्रेजुएशन की। उसके बाद वहीं से आईकेडीआरसी संस्थान से नि:संतान टेस्ट ट्यूब बेबी व दूरबीन सर्जरी में शिक्षा पूरी की। बाद में उन्होंने वर्ष 2014 में चौमूं शहर के बराला हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में ज्वाइन किया। बीते इन 5 साल में उन्होंने चिकित्सा व लोगों की भावनाओं के उतार-चढ़ाव देखे। उन्होंने महिला रोगियों और प्रसूताओं की सेवाभाव से सेवाएं की। हॉस्पिटल के साथ परिवार की जिम्मेदारियां निभाना मुश्किल है, लेकिन परमात्मा के आशीर्वाद से वह अपने परिजनों के साथ देने से ये मुकाम हासिल किया।