6 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

15 अक्टूबर तक टे्रनों को दौड़ाने की कवायद

जयपुर-सीकर रेलमार्ग: जयपुर रेलवे स्टेशन का रिमॉडलिंग कार्य पूरा

3 min read
Google source verification
Indiain raileway

,,,,,,

चौमूं. उत्तर पश्चिम रेलवे के अधिकारी जयपुर रेलवे स्टेशन का रिमॉडलिंग कार्य पूरा होने पर जयपुर-सीकर रेलमार्ग पर रेलगाडिय़ों को चालू करने की कवायद में जुटे हुए हैं। इसे लेकर खाली पड़े टे्रक पर इंजन भी दौड़ाया गया, जिससे टे्रक में कोई कमी हो, तो तुरंत दूर की जा सके। हालांकि चार महीने पहले सीआरएस निरीक्षण भी किया जा चुका है। रेलवे सूत्रों की मानें तो १५ अक्टूबर तक हर हाल में गाडिय़ां चालू करने की उम्मीद जताई जा रही है।
सूत्रों के अनुसार रेलवे ने 2008-09 में 320 किलोमीटर लंबाई के जयपुर-रींगस-चूरू और सीकर-लुहारू मीटर गेज रेलमार्ग को ब्रॉडगेज में तब्दील करने के लिए करीब 1116 करोड़ रुपए की परियोजना को स्वीकृति प्रदान की थी। इसके तहत वर्ष 2015 में सीकर-लुहारू के बीच आमान परिवर्तन कार्य पूरा हो गया था। वर्ष 2017 में सीकर-चूरू के बीच एवं वर्ष २०१८ में सीकर-पलसाना-रींगस तक काम पूरा हुआ। इस रेलमार्ग पर टे्रनों का संचालन शुरू भी कर दिया गया, लेकिन जयपुर से रींगस के बीच करीब ५७ किलोमीटर लम्बाई के रेलमार्ग का काम साढ़े चार महीने पहले हो गया था। रेलवे प्रशासन तत्कालीन सीआरएस सुशील चंद्रा ने 24 व 25 अप्रेल 2019 को सीआरएस निरीक्षण करने के बाद टे्रन चलाने की अनुमति भी दे दी थी, लेकिन विभिन्न कारणों से नियत 90 दिनों की अवधि में टे्रनों का संचालन शुरू नहीं हो गया। इसके चलते अब तक टे्रन नहीं चल पाईं।
अब, रास्ता साफ हो गया
सूत्रों की मानें तो ढेहर के बालाजी से रींगस तक सीआरएस हो चुका था, लेकिन जयपुर-सीकर रेलमार्ग से जुड़ी टे्रनों को जोधपुर, कोटा, दिल्ली, आगरा,अजमेर समेत अन्य स्थानों के लिए जोडऩे के लिए टे्रक संबंधी कार्य पूरा नहीं हो पा रहा था। हाल ही में जयपुर रेलवे स्टेशन का रि-मॉडलिंग कार्य पूरा हो चुका है। इस कार्य में दूरी होने के कारण जयपुर-सीकर मार्ग पर गाडिय़ां नहीं चलाई जा सकी थी, लेकिन अब इस कार्य से रास्ता साफ हो गया। चूंकि सीआरएस के निरीक्षण के तीन महीने में गाडिय़ों का संचालन करना था और ये अवधि खत्म हो गई है। इसलिए अब रेलवे प्रशासन दुबारा से सीआरएस से अनुमति लेगा। सूत्रों ने बताया कि रेलवे प्रशासन सीआरएस से गाडिय़ों का संचालन शुरू करवाने के लिए रि-वेलिडेशन प्रक्रिया अपनाई जा रही है। इसकी अनुमति जल्द मिलने की संभावना है। रेलवे प्रशासन की ओर से खाली पड़े टे्रक पर इंजन भी चलाया जा रहा है।
बॉक्स...पौने तीन साल बाद दौड़ेंगी टे्रन
सूत्रों के अनुसार जयपुर-सीकर के बीच 14 नवम्बर 2016 तक टे्रनों का संचालन हुआ था। इसके बाद से टे्रनें चलना बंद है। इस रूट पर करीब पौने तीन साल टे्रनों का संचालन शुरू होगा। सूत्रों की मानें तो 15 अक्टूबर टे्रन चलाने का लक्ष्य है। टे्रनों के चलने न सिर्फ लम्बी दूरी यात्रियों को मदद मिलेगी, बल्कि जयपुर व सीकर के बीच चलने वाले हजारों दैनिक यात्रियों को भी राहत मिलेगी।
यह समस्या दूर होना जरूरी
जयपुर से सीकर स्टेशन के बीच ४० से अधिक अंडरपास हैं, जिनमें बारिश का पानी जमा हो जाता है। वहीं चौमूं स्टेशन से गुजर रहे टे्रक पर बारिश में शहर का पानी आकर भर जाता है। डेढ़ महीने पहले तो पानी भरने की वजह से टे्रक के स्लीपरों के नीचे बिछाई गई गिट्टियां तक बह गई थी। यदि रेलवे ने इसे गम्भीरता से नहीं लिया तो हर बारिश में टे्रक पर पानी भरेगा। इससे रेल यातायात भी प्रभावित होगा। इसके अलावा चौमूं स्टेशन के प्लेटफार्म पर नम्बर१ पर बनाई गई प्याऊ के नल के चारों ओर पर्याप्त जगह छुड़वानी होगी, क्योंकि वर्तमान में नल से पानी पीने के दौरान लोगों का सिर दीवार से टकराता है। पानी पिया नहीं जाता है। इसकी शिकायत सीआरएस से भी की थी।
इनका कहना है
सीआरएस का निरीक्षण हो गया है, लेकिन 90 दिन की अवधि खत्म होने के बाद अब सीआरएस से दुबारा टे्रनों को चलाने के लिए अनुमति लेने के लिए रिवेलिडेशन की प्रक्रिया पूरी की जा रही है, जिसमें दुबारा बारीकी से निरीक्षण करने की जरूरत नहीं है। रेलवे का लक्ष्य है कि जयपुर-सीकर रूट पर 15 अक्टूबर तक गाडिय़ों को चालू कर दिया जाए।
अभयकुमार शर्मा, मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी, उत्तर पश्चिम रेलवे जयपुर