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नवरात्र स्पेशल : इंद्र की परियां बनी सामोद महामाया

जयपुर से 48 किलोमीटर दूर चौमूं-अजीतगढ़ स्टेट हाइवे पर सामोद में अरावलियों की पहाडिय़ों के बीच स्थित प्रसिद्ध शक्तिपीठ महामाया मंदिर श्रद्धा एवं पर्यटन का मनोरम रमणीय स्थान है। यहां लाखों भक्त हर साल आते हैं। प्रतिवर्ष माता के जात जडुले चढ़ाते हैं। मंदिर चहुंओर से अरावली की पहाडिय़ों से घिरा है।

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बगरू

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Ashish Sikarwar

Oct 16, 2020

नवरात्र स्पेशल : इंद्र की परियां बनी सामोद महामाया

जयपुर से 48 किलोमीटर दूर चौमूं-अजीतगढ़ स्टेट हाइवे पर सामोद में अरावलियों की पहाडिय़ों के बीच स्थित प्रसिद्ध शक्तिपीठ महामाया मंदिर श्रद्धा एवं पर्यटन का मनोरम रमणीय स्थान है। यहां लाखों भक्त हर साल आते हैं। प्रतिवर्ष माता के जात जडुले चढ़ाते हैं। मंदिर चहुंओर से अरावली की पहाडिय़ों से घिरा है।

जयपुर/सामोद. जयपुर से 48 किलोमीटर दूर चौमूं-अजीतगढ़ स्टेट हाइवे पर सामोद में अरावलियों की पहाडिय़ों के बीच स्थित प्रसिद्ध शक्तिपीठ महामाया मंदिर श्रद्धा एवं पर्यटन का मनोरम रमणीय स्थान है। यहां लाखों भक्त हर साल आते हैं। प्रतिवर्ष माता के जात जडुले चढ़ाते हैं। मंदिर चहुंओर से अरावली की पहाडिय़ों से घिरा है।

तपस्वी संत ने इंद्र की परियों को दिया था श्राप
मंदिर महंत मोहनदास ने बताया कि 700 साल पूर्व इस स्थान पर संत द्वारकादास महाराज तपस्या करते थे। संत की तपस्या के दौरान इंद्रदेव की सात परियां तपस्या स्थल के समीप स्थित बावड़ी में स्नान करने आती थी। स्नान करते समय वे शोरगुल करती थीं। इससे संतश्री की तपस्या में व्यवधान पड़ता था। उन्होंने कई बार परियों को शोर गुल करने से मना किया किंतु परियों ने अठखेलियां करना बंद नहीं की। इससे एक दिन संतश्री को क्रोध आ गया। उन्होंने परियों को सबक सिखाने की ठानी। परियां नहाने के लिए वस्त्र उतार कर बावड़ी में गईं और शोरगुल करने लगी। तभी तपस्वी द्वारकादासजी बावड़ी के पास आए और वस्त्र छिपा लिए। परियां जब बाहर आईं तो वस्त्र नहीं मिले। परियों नेजब तपस्वी के पास वस्त्र देखे तो मांगे मगर तपस्वी ने वस्त्र नहीं दिए और परियों को हमेशा के लिए यहीं बसने का श्राप दे दिया। परियों ने तपस्वी से श्राप वापस लेने के लिए मिन्नते की तो तपस्वी ने कहा कि आज से तुम सातों यही बस जाओ और लोगों की मुरादें पूरी करो। तब से ये सातों परियां यहीं निवास करती हैं।

हर साल भरता है लक्खी मेले..
मंदिर महंत मोहनदास ने बताया कि तपस्वी द्वारका दास नवरात्र, बैशाख और भाद्रपद मेंविशेष तपस्या करते थे। अत: इन दिनों में विशेष मेले लगते हैं। नवरात्र के नौ दिनों तक मंदिर में विशाल मेला लगता है। बैशाख व भाद्रपद माह में विशेष मेले लगते हैं।

आज 8.15 बजे घट स्थापना के साथ नवरात्रा शुरू
शक्तिपीठ महामाया मंदिर में शनिवार प्रात: 8.15 बजे घटस्थापना के साथ शारदीय नवरात्रा शुरू होंगे। इस दौरान नवरात्रा महोत्सव का आयोजन किया जाएगा। साथ ही मंदिर में रोजाना विशेष शृंगार कर झांकी सजाई जाएगी।