
कालवाड़ के पास प्रवासी पक्षियों के नहीं आने से वीरान नजर आती पूनाना झील।
कालवाड़. पिछले कई सालों में पहली बार ऐसा हुआ है कि शीत ऋतु शुरू होने के बावजूद जयपुर के पास स्थित अतिप्राचीन पूनाना झील में एक भी विदेशी व अन्य प्रवासी पक्षियों का झुंड नहीं आया। इसका कारण सांभर झील में काल कलवित हुए पक्षी भी माने (The impact of the death of birds in Sambhar Lake) जा रहे हैं, क्योंकि सांभर झील में आने वाले पक्षी पूनाना झील में भी ठहराव कर शीत ऋतु में प्रवास करते हैं। सांभर लेक में प्रवासी दुर्लभ पक्षियों की मौत का सीधा असर पूनाना की इस में झील में देखा जा रहा है। करीब चार किलोमीटर लम्बी व दो किलोमीटर चौड़ी इस झील में प्रवासी पक्षियों की आवक नहीं होने से दूर-दूर तक सन्नाटा पसरा हुआ है और यहां आने वाले लोग पंछियों के मधुर कलरव से वंचित हैं।
दशकों बाद वीरान हुई झील
जयपुर जिले के कालवाड़ के पास स्थित पूनाना-भैंसावा (The silence in the Poonana Lake, the migratory birds did not come) की झील दशकों बाद बिना प्रवासी पक्षियों के वीरान नजर आ रही है। यहां के लोगों का कहना है आजादी के बाद से अब तक यहां ऐसी कोई शीत ऋतु नहीं आई जब प्रवासी पक्षी इस झील में नहीं आए। ऐसे में दशकों बाद प्रवासी देशी व विदेशी पक्षियों ने पूनाना झील से दूरी बनाई है।
पेड़-पौधे भी उदास
पूनाना झील में जल भराव क्षेत्र के तीन तरफ बड़ी संख्या में पेड़ पौधे लगे हैं जिन पेड़ों पर प्रवासी पक्षी घौंसले भी बनाया करते थे, लेकिन इस बार इन पक्षियों के नहीं आने से पेड़ पौधे भी मानों उदास नजर आ रहे हैं। झील में मात्र कुछ स्थानीय जल मुर्गियां तो पानी पीने के लिए आने वाले नील गायों का झुंड दिखाई देता है।
इन प्रजातियों के आते है पक्षी
पूनाना की झील में फ्लेमिंगो (Flamingo), साइबेरियन सारस (Siberian Stork), गोडावण (Godavan) सहित अन्य प्रजातियों के देशी-विदेशी पक्षी आते हैं। शीत ऋतु के आगमन पर अक्टूबर के अंतिम माह व नवम्बर माह के पहले सप्ताह इनकी आवक शुरू हो जाती है, लेकिन इस बार दूर—दूर तक इन पक्षियों को नहीं देखा जा रहा।
झील संरक्षण भगवान भरोसे
पूनाना झील सरकारों द्वारा संरक्षण के अभाव में उपेक्षित रही है। राज्य में अन्य झीलों के संरक्षण व विकास पर सरकार ध्यान देती आई है, लेकिन राजधानी जयपुर से मात्र 40 किलोमीटर दूर स्थित इस झील के विकास व इसे बचाने पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। ऐसे में अब इसका प्राकृतिक स्वरूप भी बिगड़ता जा रहा है।
Published on:
14 Nov 2019 07:11 pm
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