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Lack Of Facilities-गांव में न आंगनबाड़ी केंद्र न मिल रही स्वास्थ्य सुविधा, बारिश होने पर गांव में ही कैद हो जाते हैं ग्रामीण

गांव में आंगनबाड़ी केंद्र नहीं है। जो केंद्र बना है, वह भी 2 किमी दूर। बच्चे केंद्र तक नहीं पहुंच पाते। बारिश होने पर ग्रामीण गांव में ही कैद हो जाते हैं। गांव पहुंचने के लिए नाला पार करना पड़ता है। नाला में पुल नहीं बन पाया है। बीमार होने पर ग्रामीणों को लंबी दूरी […]

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समस्या

इस तरह से नाला पार कर जाते हैं ग्रामीण।

गांव में आंगनबाड़ी केंद्र नहीं है। जो केंद्र बना है, वह भी 2 किमी दूर। बच्चे केंद्र तक नहीं पहुंच पाते। बारिश होने पर ग्रामीण गांव में ही कैद हो जाते हैं। गांव पहुंचने के लिए नाला पार करना पड़ता है। नाला में पुल नहीं बन पाया है। बीमार होने पर ग्रामीणों को लंबी दूरी तय करनी पड़ती है।

बालाघाट. गांव में आंगनबाड़ी केंद्र नहीं है। जो केंद्र बना है, वह भी 2 किमी दूर। बच्चे केंद्र तक नहीं पहुंच पाते। बारिश होने पर ग्रामीण गांव में ही कैद हो जाते हैं। गांव पहुंचने के लिए नाला पार करना पड़ता है। नाला में पुल नहीं बन पाया है। बीमार होने पर ग्रामीणों को लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। गांव में डॉक्टर भी नहीं आते हैं। यह समस्या वर्षों से बनी है। लेकिन आज तक इसका निराकरण नहीं हो पाया है। मामला दक्षिण बैहर के नक्सल प्रभावित ग्राम पंचायत नव्ही के लोरा टोला का है।
जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत नव्ही का लोरा टोला घने जंगलों के बीच बसा हुआ है। यह नक्सल प्रभावित क्षेत्र है। इस टोले में विशेष पिछड़ी बैगा समुदाय के लोग निवास करते हैं। यहां की आबादी करीब 250 है। गांव में करीब 40 बैगा परिवार निवास करते हैं। लेकिन ये बैगा आदिवासी सुविधाओं के आभाव में अपना जीवन-यापन कर रहे हैं।
बिजली, सडक़, पानी की है सुविधा
लोरा टोला में सडक़, बिजली, पेयजल की सुविधा है। कुछेक ग्रामीणों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ भी मिला है। उनके आवास बनकर तैयार भी हो चुके हैं। जबकि कुछेक ग्रामीणों के अधूरे है। वहीं कुछेक ग्रामीण ऐसे हैं, जिन्हें पीएम आवास योजना का लाभ ही नहीं मिला है। वे योजना के लाभ के लिए अनेक बार पंचायत के चक्कर काट चुके हैं।
आंगनबाड़ी केंद्र नहीं जा पाते बच्चे
इस गांव में दो दर्जन से अधिक बच्चे हैं। लेकिन कोई भी बच्चा आंगनबाड़ी केंद्र तक नहीं पहुंच पाता है। दरअसल, गांव से आंगनबाड़ी केंद्र की दूरी करीब 2 किमी है। ऐसे में छोटे बच्चों के लिए यह दूरी काफी लंबी हो जाती है। ग्रामीणों ने गांव में ही आंगनबाड़ी केंद्र बनाए जाने की मांग भी की है। लेकिन अभी तक इस ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया है। जिसके कारण समस्या जस की तस बनी हुई है।
नाला में नहीं बन पाया पुल
लोरा टोला में भी दो टोले है। इन दोनों टोलों के बीच नाला पड़ता है। इसी नाले को पार कर ग्रामीण एक गांव से दूसरे गांव जाते हैं। बारिश के दिनों में नाला के उफान पर होने से ग्रामीणों को आवागमन में काफी दिक्कतें होती है। लोग अपने ही घरों में कैद हो जाते हैं। नाले के एक ओर करीब 40 तो दूसरी ओर करीब 15 घरों में बैगा आदिवासी निवास करते हैं। नाला में अभी तक पुल नहीं बन पाया है।
बीमार होने पर होती है सर्वाधिक परेशानी
इस गांव के ग्रामीणों को बीमार होने पर सर्वाधिक परेशानी होती है। उन्हें इलाज करवाने के लिए करीब 15 किमी की दूरी तय करना पड़ता है। यदि किसी गर्भवती महिला को भी उपचार कराना है तो उसे भी दूर लेकर ही जाना पड़ता है। पास में कोई प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नहीं है। ग्रामीणों को बिठली, उकवा या फिर बिरसा के स्वास्थ्य केंद्र पहुंचना पड़ता है। ऐसे में उन्हें आवागमन में काफी दिक्कतें होती है। एएनएम या नर्स भी गांव नहीं पहुंच पाती है। प्रायवेट डॉक्टर को बुलाने पर महंगा उपचार होता है। इलाज के बदले में ग्रामीणों को 1000 से 15 सौ रुपए की राशि देना पड़ता है।
दिव्यांग को अब तक नहीं मिली ट्राइसिकल
गांव में दिव्यांग जेठू सिंह मरावी भी निवास करता है। वह सोनगुड्डा में स्थित छात्रावास में भृत्य है। उसे अभी तक ट्राइसिकल नहीं मिली है। ट्राइसिकल की कमी के चलते वह पिछले दो माह से अपने काम पर नहीं गया है। गांव से सोनगुड्डा करीब 15 किमी दूर स्थित है। बारिश में दिव्यांग का आवागमन करना संभवन नहीं होता है। उसने ट्राइसिकल के लिए प्रशासन से मांग भी की। लेकिन अभी तक इसे किसी ने गंभीरता से नहीं लिया।
इनका कहना है
मै छात्रावास में भृत्य के रुप में अपनी सेवाएं देता हूं। मेरे पास ट्राइसिकल नहीं है। मैने ट्राइसिकल के लिए प्रशासन से मांग की। लेकिन अभी तक उन्हें साइकिल नहीं मिली है। मुझे आवागमन करने में दिक्कतें होती है।
-जेठू सिंह मरावी, दिव्यांग
गांव सडक़, बिजली, पानी की सुविधा है। लेकिन गांव में आंगनबाड़ी केंद्र नहीं है। गांव से 2 किमी दूर केंद्र है, जहां बच्चे जा नहीं पाते। गांव में ही आंगनबाड़ी केंद्र खोला जाए। ताकि बच्चे केंद्र जा सके।
-कुंवर सिंह बैगा, ग्रामीण
लोरा टोला पहुंचने के लिए नाला पार करना पड़ता है। बारिश होने पर लोग आवागमन नहीं कर पाते। बीमार होने पर गांव के बाहर नहीं जा पाते। नाला पर पुल बनाने की मांग की गई। लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया।
-कुंवर सिंह धुर्वे, ग्रामीण


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