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ऊंचे पहाड़ों की गुफा में विराजमान मॉ ज्वाला देवी

800 सीढिय़ों की खड़ी चढ़ाई कर पहुंचते हैं भक्त नवरात्र पर्व में दर्शनार्थ उमड़ता है भक्तों का सैलाब

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800 सीढिय़ों की खड़ी चढ़ाई कर पहुंचते हैं भक्त

800 सीढिय़ों की खड़ी चढ़ाई कर पहुंचते हैं भक्त

बालाघाट. जिला मुख्यालय से करीब 12 किमी. दूर रावड़बंदी और पायली गांव स्थित है। यहां की ऊंची गोमजी-सोमजी पहाडिय़ों की गुफाओं में मां ज्वाला देवी विराजमान है। यहां दर्शनार्थ बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण कठिन चढ़ाई कर पहुंचते हैं। नवरात्र पर्व की शुरूआत होने के साथ ही मंदिर परिसार और पहाड़ी में अलग ही रौनक देखने को मिल रही है। माता रानी के दर्शन करने भक्तों को करीब 851 खड़ी सीढिय़ां चढऩी पड़ती है, बावजूद इसके क्या बूढ़े, क्या बच्चे सभी में माता रानी के दर्शन करने पहुंचते हैं। यहां पहुंचकर मॉ ज्वाला से अपनी मनोकामनाएं पूरी करने की अर्जी लगाते हैं।
अब मप्र टूरिज्म बोर्ड व डीएटीसीसी भी इस क्षेत्र को ट्रेक कर इसके विकास को लेकर प्रयास कर रहा टीएम एमके यादव के अनुसार यहां पुरातत्व, पर्यटन और संस्कृति का अनोखा संगम देखने को मिलता है। कारण यहीं है कि इस स्पॉट को पर्यटन के लिहाज से भी विकसित किए जाने की योजना है। शीघ्र ही प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजने की बातें भी कही गई।

आस्था का केन्द्र
मंदिर के पुजारी के अनुसार जब भी भरवेली, पायली, रावड़बंदी और आस-पास के गांव में कोई विपदा आती है, तो ग्रामीण सीधे मां के दरबार में झोली फैलाए दौड़े चले आते हैं, उनकी समस्या का समाधान भी होता है। भले ही कोई उनकी बातों का भरोसा न करता हो, लेकिन इन ग्रामीणों में मां के प्रति अटूट श्रृद्धा देखते ही बनती हैं। धीरे-धीरे कर जिले के अलावा महाराष्ट्र व छत्तीसगढ़ के श्रद्धालुओं के लिए भी यह धाम आस्था का केन्द्र बन रहा है।

इसलिए नाम पड़ा मॉ ज्वाला
श्रद्धालुओं और मंदिर समिति पदाधिकारियों की माने तो माता रानी की मूर्ति गोमजी सोमजी की ऊंची पहाड़ों वाली गुफा को चीरकर स्वयं प्रगट हुई है। पूर्व में इस गुफा में अग्नि ज्वाला निकला करती थी। तब से श्रद्धालु माता रानी को मॉ ज्वाला देवी के नाम से जानते व संबोधित करते हैं। पहली बार मंन्नत लेकर पहुंचने वाला श्रद्धालु यदि दोबारा धाम में कठिन चढ़ाई पहुंच रहा है तो समझिए माता रानी ने उसकी मुराद पुरी कर दी है और वह मॉ को धन्यवाद देने पहुंचा है।

बिखरी प्रकृती की अनुपम छटा
प्रतिवर्ष मॉ ज्वाला के दर्शन करने पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की माने तो पहले माता रानी के दर्शन करने खड़ी पहाड़ी चढ़ानी पड़ती थी। लेकिन अब मंदिर समिति ने मंदिर स्थल तक 851 सीढिय़ों का निर्माण कर दिया है। श्रृद्धालुओं को यहां पहुंचने में कुछ राहत मिली है। ऊपर पहुंचते ही प्रकृति का अलौकिक सौन्दर्य देखने को मिलता है। हरियाली से अच्छादित सुंदर मनोरम वादिया श्रृद्धालुओं को स्वत: ही आकृर्षित करती है। श्रृद्धालुओं की मानता है कि मां ज्वाला के दर्शन करने के बाद ऊपर चढऩे की पूरी थकान अपने आप ही दूर हो जाती है। यहीं कारण है कि नवरात्र के दोनों समय उपवास करने के बाद भी श्रृद्धालु आसानी से दर्शन करने पहुंच जाते हैं।

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यह है क्विंदतियां

गोमजी-सोमजी पहाड़ी के पंडित बताते हंै कि वैसे तो मां की कृपा के सैकड़ों किस्से हैं। लेकिन भरवेली क्षेत्र के पटले के ऊपर जो मां ने कृपा की है, वह किसी चमत्कार से कम नहीं है। उन्होंने बताया कि गांव के पटेल के पास धन-दौलत की कमी नहीं है, लेकिन उसकी एक भी संतान नहीं थी। उन्होंने मां के दरबार में हाजरी लगाई और सच्चे मन से मां की पूजा-आराधना की। इसके बाद आज राधेश्याम का एक पुत्र और दो पुत्री है। सारे प्रयास करने के बाद निराशा मिलने पर पटले मां के पास पहुंचा था और उसकी मुराद पुरी हो गई।