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अक्षय तृतीया पर की गई नए घड़ा (कलशा)े की पूजा

बैसाख मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को अखातीज अक्षय तृतीया पर्व कलशा पूजन परम्परानुसार मनाया गया।

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अक्षय तृतीया पर की गई नए घड़ा (कलशा)े की पूजा

अक्षय तृतीया पर की गई नए घड़ा (कलशा)े की पूजा

बालाघाट. बैसाख मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को अखातीज अक्षय तृतीया पर्व कलशा पूजन परम्परानुसार मनाया गया। श्रद्धालुओं ने भगवान विष्णु व लक्ष्मी की पूजा अर्चना कर अपने देवस्थान में नए घड़े (कलशा) रखकर पूजन सामग्री भेंट कर पूजा अर्चना की। नए घड़े में आम का फल, हल्दी कुमकुम, चंदन व अक्षत रोली लगाकर पूजा किया गया। इस पर्व में सेवईयां व आम रस सहित अन्य पकवान बनाकर पलाश के पत्ते की पतराली बनाकर उसमें भोजन किया जाता है। इस दिन दान करना भी शुभ माना जाता है। अक्षय तृतीया के दिन कोई भी शुभ कार्य करने से अच्छा फल मिलता है।
अक्षय तृतीया के दिन मांगलिक कार्य शादी विवाह, गृह प्रवेश सहित अन्य शुभ कार्य के लिए मुर्हुत काफी शुभ माना गया है। लेकिन इस वर्ष कोरोना वायरस के चलते लोगों ने शादी स्थगित कर दी है। जिससे शहर मुख्यालय सहित ग्रामीण अंचलों में शहनाईयों की गूंज सुनाई नहीं दी। लाकडाउन के चलते लोगों का घर से निकलना मना है और भीड़ पर पाबंदी लगी हुई है। जिससे लोगों द्वारा पूर्व से तय शादी की तिथि इस वर्ष स्थगित कर लाकडाउन खुलने का इंतजार किया जा रहा है। अक्षय तृतीया के दिन बड़ी संख्या में शादी ब्याह होते थे। जिससे जगह-जगह बैण्ड बाजा व डीजे सहित शहनाईयों की गूंज सुनाई देती थी। लेकिन इस वर्ष इस तरह का नजारा कही दिखाई नहीं दिया।