
समस्या बताते जिले के पटवारी।
जिले में 10 लाख से अधिक पुराने नक्शे है। इन नक्शों का 110 वर्षों से अपडेशन नहीं हुआ है। वर्ष 1914-15 में बंदोस्त का कार्य हुआ था। इसके बाद से पुराने नक्शों से ही काम चलाया जा रहा है। नए नक्शों से पुराने रिकार्ड मेल नहीं खा रहे हैं। अब पटवारियों को नक्शा तरमीम में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
बालाघाट. जिले में 10 लाख से अधिक पुराने नक्शे है। इन नक्शों का 110 वर्षों से अपडेशन नहीं हुआ है। वर्ष 1914-15 में बंदोस्त का कार्य हुआ था। इसके बाद से पुराने नक्शों से ही काम चलाया जा रहा है। नए नक्शों से पुराने रिकार्ड मेल नहीं खा रहे हैं। अब पटवारियों को नक्शा तरमीम में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल, कलेक्टर ने जिले के सभी पटवारियों को प्रतिदिन 50-50 नक्शा अपडेट करने का लक्ष्य दिया है।
जानकारी के अनुसार जिले में वर्ष 1914-15 में बंदोबस्त का कार्य हुआ था। वर्ष 1960-65 में कुछेक ग्रामों में चकबंदी का कार्य हुआ था। इसके बाद से न तो चकबंदी हुई और न ही बंदोबस्त का कार्य। जिसके चलते राजस्व विभाग के पास भूमि से जुड़े पुराने ही दस्तावेज है। अब इन्हीं पुराने दस्तावेजों के आधार पर उन्हें अपडेट करने का कार्य किया जा रहा है। लेकिन पुराने और रिकार्ड आपस में मेल नहीं खा रहे हैं। जिसके कारण पटवारियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
पुराने नक्शे हुए जीर्ण-शीर्ण
बंदोबस्त का कार्य नहीं होने से राजस्व रिकार्ड काफी पुराने हो चुके हैं। खासतौर पर नक्शा अब जीर्ण-शीर्ण हो गए हैं। नक्शे के कम्प्यूटरीकरण के दौरान भी जीर्ण-शीर्ण नक्शा का उपयोग किया गया है। जिसके चलते कम्प्यूटरीकृत नक्शा भी स्पष्ट नहीं है।
30-30 वर्षों में होना था बंदोबस्त का कार्य
प्रत्येक 30-30 वर्षों में बंदोबस्त का कार्य किया जाना चाहिए था। लेकिन जिले में 110 वर्षों से बंदोबस्त का कार्य नहीं किया गया है। बंदोबस्त नहीं होने से 80 प्रतिशत नक्शा पार्सल का मिलान खसरे में दर्ज रकबे के क्षेत्रफल से नहीं हो पा रहा है। प्रदेश के 11 जिले ऐसे हैं, जहां बंदोबस्त का कार्य नहीं हो पाया है। उल्लेखनीय है कि बंदोबस्त का कार्य राज्य सरकार करवाती है। इसके लिए एक टीम का गठन किया जाता है। जिसमें राजस्व अधिकारियों, पटवारियों को शामिल किया जाता है। जो गांवों में पहुंचकर बंदोबस्त का कार्य करते हैं।
ये होगी परेशानी
नक्शा राजस्व विभाग का मूल दस्तावेज है। आगामी समय में सीमांकन, बटवारा, जमीन की रजिस्ट्री सहित अन्य कार्य वेब जीआइएस सॉफ्टवेयर के काटे जा रहे नक्शा से होना है। जिसके चलते जमीन का कब्जा और नक्शा में अंतर आएगा। जिसमें समस्या उत्पन्न होगी। जमीन का विवाद बढ़ेगा। किसान परेशान होंगे। पटवारियों के अनुसार वेब जीआइएस सॉफ्टवेयर से नक्शा काटना आसान है। लेकिन उससे नक्शा गलत कट रहे है। जमीन की भौगोलिक स्थिति अलग ही नजर आती है।
नक्शा मॉड्यूल में सुधार की मांग
जिले के पटवारियों ने वेब जीआइएस सॉफ्टवेयर में नक्शा तरमीम मॉड्यूल में सुधार किए जाने की मांग की है। पटवारी संघ ने इस आशय का ज्ञापन भी सौंपा है। पटवारियों का कहना है कि अधिकारियों के डर से पटवारी वेब जीआइएस सॉफ्टवेयर से नक्शा काट देंगे। लेकिन किसाना का कब्जा और नक्शा का मिलान नहीं होगा। जिसके कारण किसानों को काफी परेशानी होगी।
इनका कहना है
जिले में 110 वर्षों से नक्शे के अपडेशन का कार्य नहीं हुआ है। पुराने नक्शे जीर्ण-शीर्ण हो गए हैं। डिजिटल नक्शे और पुराने नक्शे मेल नहीं खाते हैं। नक्शा तरमीम में पटवारियों को काफी परेशानी हो रही है। डिजिटल नक्शा और भूमि कब्जा में काफी अंतर आ रहा है। इससे किसान भी परेशान होंगे।
-गिरधारी भगत, जिला अध्यक्ष प्रांतीय पटवारी संघ बालाघाट
जिले में 10 लाख से अधिक पुराने नक्शे हैं। इन नक्शों को अपडेट किया जाए। वेब जीआइएस सॉफ्टवेयर में नक्शा तरमीम मॉड्यूल में सुधार करने की आवश्यकता है। सॉफ्टवेयर से नक्शा काटने में कोई परेशानी नहीं है। लेकिन डिजिटल नक्शा और किसानों के कब्जा में काफी अंतर आता है।
-अरुण बिरनवार, जिला अध्यक्ष, मप्र पटवारी संघ बालाघाट
Published on:
23 Aug 2024 09:28 pm
बड़ी खबरें
View Allबालाघाट
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग
