बालाघाट

नक्सलियों की आरामगाह में धारा 144 लागू, प्रशासन सतर्क

10 अगस्त तक बालाघाट में धारा 144 रहेगी प्रभावी

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May 12, 2023

बालाघाट। नक्सलियों की आरामगाह के नाम से प्रसिद्ध बालाघाट जिले में नक्सली मूवमेंट और सोशल मीडिया में आपत्तिजनक पोस्ट से बिगडने वाली कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए जिला प्रशासन ने धारा-144 लगा दी है। यह आदेश कलेक्टर डॉ. गिरीश कुमार मिश्रा ने जारी किया है, जो 10 अगस्त तक प्रभावी रहेगा।

यह धारा एसपी से मिले पत्र के बाद लगाई गई। आदेश में कहा गया है, यहां होने वाली घटनाओं का असर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर पड़ता है। सोशल मीडिया में आपत्तिजनक, अश्लील संदेशों, चित्रों, वीडियो, ऑडियो प्रसारित नहीं किए जाएंगे।

ज्ञात हो इससे पहले अभी कुछ समय में पुलिस व हाॅक फोर्स की कार्रवाई के चलते कई नक्सली ढेर हो चुके हैं। जानकारों का मानना है ऐसे में वे बौखलाए हुए हैं, और कभी भी कोई बडी हरकत कर सकते हैं।

ये क्षेत्र हैं सर्वाधिक नक्सल प्रभावित
बताया जाता है कि बालाघाट जिले में नक्सलियों की मौजूदगी लगातार बनी हुई है। जिले के दक्षिण बैहर, लांजी, किरनापुर क्षेत्र में ज्यादातर मलाजखंड दलम, टांडा दलम, दर्रेकसा, सालेकसा, विस्तार दलम, प्लाटून दलम सक्रिय है। वहीं पाथरी चैकी के अंतर्गत कोरका, बोंदारी, पाथरी, माड़ी, जगला, कासाटोला, बिठली चैकी अंतर्गत हर्रानाला, दुगलई, आमानाला, जानियाटोला, बिठली, सोनुड्डा चैकी अंतर्गत सोनगुड्डा, कोद्दापार, कुर्रेझोड़ी, राशिमेटा, दुल्हापुर, मुरूम, पित्तकोना चैकी अंतर्गत कोसमबहेरा, बिलालकसा, जैतपुरी, छुहीडोडा, झकोरदा, चिलौरा, चितालखोली, देवरीबेली चैकी अंतर्गत नरपी, चिरकोना, सायर, टेमनी, संदूका सहित अन्य गांवों के जंगलों में नक्सलियों की सक्रियता बनी हुई है।

ज्ञात हो कि तीन राज्यों का सीमावर्ती इलाका होने से बालाघाट, मंडला, डिंडौरी, अनूपपुर और सिंगरौली जिले मप्र में नक्सलियों के लिए न केवल बड़ा गलियारा बने हुए हैं, बल्कि इनका घना जंगल नक्सलियों के लिए मुफीद भी साबित हुआ है। हालांकि बालाघाट के अलावा इन जिलों में कभी कोई बड़ी नक्सली वारदात सामने नहीं आई।

Published on:
12 May 2023 03:02 am
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