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जिले के जंगलों में सुरक्षित नहीं वन्य प्राणी बाघ, नौ माह में तीसरे बाघ की मौत

लगातार सामने आ रहे मौत के मामले, सुरक्षा पर खड़े हो रहे सवाल

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लगातार सामने आ रहे मौत के मामले, सुरक्षा पर खड़े हो रहे सवाल

लगातार सामने आ रहे मौत के मामले, सुरक्षा पर खड़े हो रहे सवाल

जिले के जंगलों में वन्य प्राणी सुरक्षित नहीं है? यह हम नहीं बल्कि लगातार सामने आ रहे शिकार और मौत के मामले इस ओर इंगित करते हैं। पिछले करीब साढ़े नौ माह में जिले के दो वन परिक्षेत्रों से तीन बाघों की मौत के मामले सामने आ चुके हैं। 11 दिसंबर को कटंगी वन परिक्षेत्र के आंजनबिहरी के जंगल कक्ष क्रमांक 562 में मृत मिले बाघ के शव मामले में पोस्टमार्टर के दौरान बड़ा खुलासा हुआ है। करीब 16 माह उम्र के नर बाघ की करंट से मौत की जानकारी सामने आई है। इस खुलासे के बाद वन विभाग सकते हैं। वहीं वरिष्ट अधिकारी अलर्ट मोड पर आ गए हैं। जिन्होंने मामले को गंभीरता लेते हुए प्रोटोकाल के अनुसार मृत बाघ का दाह संस्कार करवाया। पूरी सरगर्मी से करंट बिछाने वाले शिकारियों की तलाश शुरू कर दी गई है।

बता दें कि 11 दिसंबर की शाम वन परिक्षेत्र कटंगी के ग्राम आंजनबिहरी के जंगल में कक्ष क्रमांक 562 स्थित घोड़देव बाबा मंदिर समीप बाघ मृत हालत देखा गया। यह शव तीन दिन पुराना होना बताया गया है। 12 दिसंबर को पशु चिकित्सक की टीम ने जनप्रतिनिधियों, वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में पोस्टमार्टम किया। बाघ की मौत को वन विभाग ने गंभीरता से लेकर कान्हा राष्ट्रीय उद्यान और बालाघाट से डाग स्क्वॉड टीम बुलाकर जांच शुरू कर दी हैं।

डॉग स्क्वॉड ने की सर्चिंग

बाघ जिस स्थान पर मृत पाया गया है, उसके आसपास दो डाग स्क्वॉड टीम ने करीब सात-आठ किमी तक सर्चिंग की है, लेकिन कही पर भी आरोपियों का सुराग नहीं मिल पाने की बात वन अमला कह रहा है। बाघ के पूरे पंजे, नाखून समेत पूरे शरीर के अंग सुरक्षित है। इस हिसाब से मामले को जानबुझकर शिकार करने की मंशा से न देखते हुए करंट के संपर्क में आने से मौत होना माना जा रहा है। हालाकि जिन लोगों ने किसी कारणवश करंट बिछाया होगा उन अज्ञात आरोपियों पर वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम की विभिन्न धाराओं पर मामला दर्ज किया गया है।

नौ माह में तीन मौत के मामले

जानकारी के अनुसार कटंगी वन परिक्षेत्र में बाघ की मौत का यह पहला मामला नहीं है। बल्कि 01 मार्च को भी कटंगी परिक्षेत्र के मुंदीवाड़ा वृत के कोड़मी बीट से एक बाघ का शव मृत अवस्था में मिला था। इस दौरान किसी शिकारी द्वारा लगाए गए फंदे में फंसकर आहार नली टूटने और भूख प्यास से मौत की जानकारी सामने आई थी। इसके अलावा 27 जुलाई को सोनेवानी कंजर्वेशन रिजर्व की बीट बहियाटिकुर से बहने वाले बरसाती नाले में बाघिन का शव मिलने का मामला सामने आ चुका है। इस मामले में छह सुरक्षा कर्मियों ने डिप्टी रेंजर और वनरक्षक के कहने पर दो से तीन दिन तक शव को जंगल में रखने के बाद बिना प्रोटोकाल के जला देने की बात सामने आ चुकी है। इस मामले में डिप्टी रेंजर औश्र वनरक्षक बर्खास्त किया जा चुका है। छह सुरक्षा कर्मी सहित सभी आठों आरोपी जेल की हवा काट रहे हैं।

जंगल में लगाए चार कैमरे

वन विभाग के अनुसार घटना स्थल पर जंगल में चार सैंसर कैमरे लगाए गए हंै। इन कैमरों के माध्यम से आरोपियों तक पहुंचने का प्रयास रहेगा। क्योंकि यदि आरोपियों ने कुछ छिपाकर रखे होंगे, तो वे जरूर यहां तक आएंगे और जो संदिग्ध व्यक्ति होगा, वह भी कैमरे में कैद हो जाएगा। बाघ का उसी जगह पर प्रोटोकाल के तहत जलाकर अंतिम संस्कार कर दिया गया।
इस दौरान मौके पर सीसीएफ गौरव चौधरी, डीएफओ नित्यानयम एल, डीएफओ अरिहंत कोचर, एनटीसीए प्रतिनिधि डॉ मोहनिश पिछोड़े, कान्हा पार्क से डॉ संदीप अग्रवाल, डॉ देवव्रत डहेरिया, डॉ विजय मानेश्वर, मुकेश बिसेन, एसडीओ बालकराम सिरसाम, रेंजर बीएल चढार सहित अन्य वन अमला मौजूद रहा।

वर्सन

बाघ का अज्ञात आरोपियों ने करंट लगाकर शिकार किया है। कान्हा सहित दो डाग स्क्वॉड टीम बुलाकर सात-आठ किमी तक आसपास सर्चिंग की गई। जल्द ही आरोपी तक पहुंचने का प्रयास रहेगा। आरोपियों को पकडऩे अलग से टीम गठित किए हैं।
बीआर सिरसाम, एसडीओ कटंगी


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