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संतान की दीर्घायु की कामना लिए महिलाओं ने की पूजा-अर्चना

संतान की दीर्घायु की कामना लिए रविवार को महिलाओं ने हरछठ पूजन किया। इस वर्ष हरछठ दो तिथियों में मनाया गया। भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि शनिवार से रविवार सुबह 10 बजे तक होने के चलते कहीं हरछठ का व्रत शनिवार तो कहीं रविवार को मनाया गया। जिला मुख्यालय सहित तहसील क्षेत्रों […]

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हरछठ

पूजा अर्चना करती महिलाएं।

संतान की दीर्घायु की कामना लिए रविवार को महिलाओं ने हरछठ पूजन किया। इस वर्ष हरछठ दो तिथियों में मनाया गया। भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि शनिवार से रविवार सुबह 10 बजे तक होने के चलते कहीं हरछठ का व्रत शनिवार तो कहीं रविवार को मनाया गया। जिला मुख्यालय सहित तहसील क्षेत्रों में भी यह पर्व बड़ी ही आस्था, विश्वास और श्रद्धा के साथ मनाया गया।

बालाघाट. संतान की दीर्घायु की कामना लिए रविवार को महिलाओं ने हरछठ पूजन किया। इस वर्ष हरछठ दो तिथियों में मनाया गया। भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि शनिवार से रविवार सुबह 10 बजे तक होने के चलते कहीं हरछठ का व्रत शनिवार तो कहीं रविवार को मनाया गया। जिला मुख्यालय सहित तहसील क्षेत्रों में भी यह पर्व बड़ी ही आस्था, विश्वास और श्रद्धा के साथ मनाया गया।
रविवार को को हरछठ हलष्ठी व्रत रखकर महिलाओं ने बेटे की दीर्घायु के लिए पूजन किया। उसके स्वस्थ जीवन की कामना की। महिलाओं ने बांस से बनी टोकरी में लाई, महुआ, चना को हलषष्ठी को अर्पित किया। इसके बाद प्रसाद का वितरण किया। इस व्रत में विशेष रूप से भैसी के दूध और उससे बने दही का सेवन किया जा सकता है। इस व्रत में महिलाएं पसही के चावल और महुए की मिठास से बनी चीजे खाकर व्रत खोलती है।
माना जाता है कि जो माताएं इस व्रत को करती हैं उनके पुत्र के जीवन पर आए संकट दूर होते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान हलधर यानी बलराम उनके पुत्रों को लंबी आयु प्रदान करते हैं। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण के ज्येष्ठ भ्राता बलरामजी के जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। बलरामजी का प्रधान शस्त्र हल व मूसल है, जिसके कारण उन्हें हलधर भी कहा जाता है। इसी कारण इस पर्व को हलषष्ठी या हरछठ कहते हैं। शनिवार को व्रतधारी महिलाओं ने अपनी संतान की दीर्घायु और उसके स्वस्थ्य जीवन की कामना के लिए व्रत रखकर पूजन किया।


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