कल्याण कालेज के रसायन शास्त्र के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डीएन शर्मा ने बताया कि हैलोजन बल्ब के भीतर ब्रोमीन और आयोडीन गैस होती है इसका तापमान 400 से 500 डिग्री सेंटीग्रेड़ होता है गैस का दबाव वायुमंडल के मुकाबले से चार से पांच गुणा ज्यादा होता है। जब यह फटता या लीक होता है तो वहां से निकलने वाली गैस सीधे नाक और आंख पर असर करती है। इसके संपर्क में आने के बाद आंखोंं में जलन, चुभन जैसी परेशानी शुरू हो जाती है। ज्यादा मात्रा में लीक होने पर यह नाक के जरिए फेफड़े तक पहुंचकर ज्यादा नुकसान पहुंचाती है।