1800 बच्चों के भविष्य को लेकर शासन ने अब तक कोई निर्णय नहीं लिया। दो महीने बाद होने वाली आठवीं की परीक्षा के बाद निजी स्कूल संचालक इन बच्चों को टीसी देकर स्कूल से बाहर का रास्ता दिखा देंगे, या फिर उन्हें फीस देकर आगे की पढ़ाई करने मजबूर करेंगे।
बालोद@Patrika. शिक्षा के अधिकार के तहत प्रदेश सरकार ने निजी स्कूलों में प्रवेश दिलाने पूरी रणनीति बना ली। मार्च से जुलाई तक होने वाली प्रक्रिया के बारे में निजी स्कूलों तक जानकारी भी पहुंचा दी, पर आरटीई के पहले बैच के अविभाजित दुर्ग जिले के करीब 1800 बच्चों के भविष्य को लेकर शासन ने अब तक कोई निर्णय नहीं लिया। दो महीने बाद होने वाली आठवीं की परीक्षा के बाद निजी स्कूल संचालक इन बच्चों को टीसी देकर स्कूल से बाहर का रास्ता दिखा देंगे, या फिर उन्हें फीस देकर आगे की पढ़ाई करने मजबूर करेंगे। इधर शासन ने इस सत्र में होने वाले आरटीई के एडमिशन को लेकर शेड्युल जारी कर दिया है।
शिक्षा मंत्री ने कहा ये आरटीई क्या है...
शिक्षा के अधिकार के तहत राज्य में 9 वीं से 12 कक्षा तक नि:शुल्क शिक्षा मुहैया कराने कांग्रेस का वादा शिक्षामंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम को याद ही नहीं रहा। पत्रिका ने जब इस मुद्दे पर उनसे बात की तो पहले वे आरटीई एक्ट को ही समझ नहीं पाए। फिर जब घोषणापत्र की बात याद दिलाई तो उन्होंने जल्द ही सचिव से चर्चा कर मामले को समझने की बात कही।
प्रदेश में सबसे ज्यादा बच्चे दुर्ग में
शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होते ही 2010 में सबसे ज्यादा एडमिशन अविभाजित दुर्ग जिले में ही हुआ था। दुर्ग सहित बालोद और बेमेतरा के निजी स्कूलों में 18 सौ बच्चों को प्रवेश दिया गया था। अब आठ साल बीतने के बाद इन बच्चों को अब दूसरे स्कूल या अलग मिडियम में प्रवेश दिलाना काफी मुश्किल होगा। बालोद में ७८८ बच्चे इसमें शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
घोषणा पूरी होने का इंतजार
सरकार बदलने के बाद पालकों को अब घोषणा पूरी होने का इंतजार है। पालकों का कहना है कि जिस तरह 10 दिन के भीतर किसानों का कर्ज माफ हो गया उसी तर्ज पर आरटीई को लेकर भी सरकार को तत्काल निर्णय लेना चाहिए। क्योंकि एक बार निजी स्कूलों से बच्चों को टीसी दे दी गई तो फिर दोबारा एडमिशन में काफी दिक्कतें होगी।
अगले सत्र में संख्या हो जाएगी तीन गुनी
आरटीई के तहत आठवीं में पढऩे वाले स्कूली बच्चों की संख्या अगले सत्र में तीन गुनी हो जाएगी। क्योंकि दूसरे बैच में प्रदेशभर से करीब 15 हजार बच्चों का प्रवेश हुआ था और तीसरे बैच में यह संख्या बढ़कर 16 हजार तक पहुंच गई थी। वर्तमान में आरटीई के तहत फ्री सीटों में पढऩे वाले बच्चों की संख्या 75 हजार से ज्यादा है।