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जिला प्रशासन चुनाव की तैयारियों में व्यस्त और रेत माफियां अवैध खनन में मस्त

पहाड़ी नालों से रेत निकालकर आस-पास के इलाके में रेत की मण्डिया लगायी जाती हैं।  

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जिला प्रशासन चुनाव की तैयारियों में व्यस्त और रेत माफियां अवैध खनन में मस्त

बलरामपुर. जिला प्रशासन चुनाव की तैयारियों में व्यस्त और रेत माफियां अवैध खनन में मस्त। जी हाँ कुछ ऐसा ही नाजारा बलरामपुर में दिखाई पड रहा है। बलरामपुर के पहाड़ी नालों में रेत के अवैध खनन का काला कारोबार जारी है। नेपाल से आने वाले पहाड़ी नालों में दिन-रात अवैध खनन हो रहा है। यही नहीं पहाड़ी नालों के आस-पास अवैध खनन की मण्डिया भी लगती हैं। जिला प्रशासन इस पर अंकुश लगा पाने में नाकाम साबित हो रहा है।
नेपाल की पहाडिय़ों से निकलकर लगभग दो दर्जन पहाड़ी नाले बलरामपुर के मैदानी इलाकों में बहते हुये राप्ती नदी में जाकर मिलते हैं। ये पहाड़ी नाले अपने साथ बहुमूल्य रेत भी लेकर आते हैं। तुलसीपुर तहसील के अन्तर्गत आने वाले जमथरा, धोबैनिया, सिरिया सहित कई पहाड़ी नाले खनन माफियाओं के कब्जे में हैं। जमथरा और धोबैनिया पहाड़ी नालों में दिन-रात अवैध खनन होता है। ट्रैक्टर-ट्राली के सहारे बालू निकालकर उन्हे बेंचा जा रहा है। जिन रास्तों से ये ट्रैक्टर-ट्रालियां गुजरती हैं वो पूरी तरह गढ्ढे में तब्दील हो चुकी हैं। ग्रामीण विरोध करते हैं तो खनन माफिया मारपीट पर उतारु हो जाते हैं।
सफेदपोशों के संरक्षण में रेत का काला कारोबार किया जा रहा है। बैलगाडिय़ों के सहारे भी दिन-रात पहाड़ी नालों से रेत निकालकर आस-पास के इलाके में रेत की मण्डिया लगायी जाती हैं। जिला प्रशासन दावा करता है कि जहाँ कहीं भी अवैध खनन की सूचना मिलती है उस पर कार्यवाई की जाती है। इस चुनावी सीजन में रेत माफियाओ के हौसले बुलन्द है। तू डाल-डाल में पात-पात की तर्ज पर रेत माफिया अधिकारियों से आँख मिचौली कर रहे है और पहाडी नालो का सीना चीरकर अवैध खनन के कारोबार को अंजाम दे रहे है।


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