बलरामपुर के रहने वाले 90 वर्ष के तबारक अली के जेहन में वो यादें जिंदा हैं। वह कहते हैं उस समय कक्षा पांच में पढ़ते थे। स्कूल में ही बापूजी के आने की जानकारी दी गई थी। बताया कि पहले उनके आने की अनुमति तत्कालीन अंग्रेज अधिकारियों ने पहले नहीं दी थी। महात्मा गांधी का जिलें में आने का कार्यक्रम पहले नहीं था। गांधी जी का कार्यक्रम गोंडा जिले में लगा था। स्वतंत्रता संग्राम के सिपाही मौलवी अहमद जमा खां व उनके साथियों को इसकी जानकारी हुई। मौलवी साहब ने गांधी जी को बलरामपुर लाने के लिए शहर वासियों से सहयोग मांगा लेकिन उनको सफलता नहीं मिली। तो मौलवी साहब ने महाराज बलरामपुर के दरबार में ये बात पहुंचाई। तत्कालीन महाराजा पाटेश्वरी प्रसाद सिंह ने कहा कि गांधी जी का जिले में जोरदार स्वागत ही नहीं बल्कि उनको सहयोग में धनराशि भी भेंट की जाएगी। राष्ट्रीय स्वतंत्रता संघर्ष नामक किताब इसका जिक्र भी पाया गया कि महाराज व महारानी द्वारा महात्मा गांधी जी के स्वागत की कमान स्वयं संभाली थी। जिसमे दर्शाया गया है की महाराज ने चार व महारानी ने महिलाओं की तरफ से दो हजार रुपये की थैली भेंट की थी।