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74 माह में मेट्रो के 1.78 लाख टोकन हो गए गायब

नम्मा मेट्रो के लिए यात्रियों को सफर के लिए टिकट के तौर पर दिए जाने वाले टोकन का गायब होना बड़ी चुनौती बनी हुई है।

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Namma Metro

बेंगलूरु. नम्मा मेट्रो के लिए यात्रियों को सफर के लिए टिकट के तौर पर दिए जाने वाले टोकन का गायब होना बड़ी चुनौती बनी हुई है। शहर मेंं मेट्रो सेवा शुरु होने के बाद पिछले ७४ महीने के दौरान १.७८ लाख से अधिक टोकन गायब हो चुके हैं। इससे बेंगलूरु मेट्रो रेल निगम को करीब ३५ लाख रुपए का नुकसान हुआ है।


मेट्रो निगम के आंकड़े बताते हैं कि इनमें से अधिकांश टोकन यात्री जानबूझकर अपने साथ ले गए। मेट्रो अधिकारियों का कहना है कि १ लाख ६७ हजार ३२० टोकन अब भी गायब हैं। ये टोकन हैं जिन्हें यात्री अपने साथ ले गए क्योंकि मेट्रो स्टेशनों पर प्रवेश और निकास के लिए यात्री के पास टोकन या स्मार्ट कार्ड होना जरुरी है। जिन यात्रियों के पास स्मार्ट कार्ड नहीं होता और उनका टोकन सफर के दौरान किसी कारण खो जाता है तो वैसे यात्रियों को मेट्रो स्टेशन से निकास से पहले जुर्माना भरना पड़ता है।

सूचना अधिकार कानून के तहत मेट्रो रेल निगम की ओर से दी गई जानकारी के मुताबक २० अक्टूबर २०११ को शहर में सेवा शुरु होने के बाद से १ जनवरी २०१८ तक सिर्फ १० हजार ७३९ यात्रियों के टोकन सफर के दौरान गायब हुए जिसके लिए ८ लाख ६२ हजार ३२८ रुपए का जुर्माना मेट्रो के पास जमा हुए। मेट्रो रेल निगम ने पिछले साल १८.३० रुपए प्रति टोकन की दर से २७.४५ लाख रुपए खर्च कर १.५० लाख टोकन खरीदे थे।

पिछले छह महीने के दौरान ही ७५ हजार से ज्यादा टोकन गायब हो गए। निगम के आंकड़ों के मुताबिक १ जून २०१७ से १ जनवरी २०१८ के बीच ७५ हजार ९६ टोकन गायब हुए। इससे निगम को १५ लाख १ हजार ९२० रुपए का नुकसान हुआ। टोकन खोने पर पहले 50 रुपए जुर्माना लगता था लेकिन अब इसे बढ़ाकर 200 रुपए कर दिया गया है, जिससे लोग ज्यादा से ज्यादा कार्ड खरीदें। अधिकारियों का कहना है कि कुछ यात्री सफर के लिए एक से ज्यादा टोकन खरीदते हैं और बाकी अनुपयोगी रहे टोकन को अपने साथ ले जाते हैं। कुछ स्मार्ट कार्ड उपयोगकर्ता भी ऐसा करते हैं। मेट्रो के अधिकारियों का कहना है कि शायद टोकन का शानदार डिजाइन देख कर लोगों को यह काफी पसंद आ जाता है इसलिए लोग ऐसा करते हैं।


स्मार्ट कार्ड का उपयोग बढ़ा
मेट्रो अधिकारियों का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में स्मार्ट कार्ड का उपयोग बढ़ा है लेकिन अब भी अधिकांश यात्री टोकन को ही प्राथमिकता देते हैं। वर्ष २०१३ में १५ हजार ५८६, २०१४ में ४१ हजार १४९, २०१५ में ४६ हजार ६७०, २०१६ में २ लाख ५३ हजार ५८२ और २०१७ में ६ लाख १३ हजार ३९५ यात्री स्मार्ट कार्ड का उपयोग करते थे।