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सप्ताह भर में घोषणा या इस्तीफा

ऋण माफी जैसे मसले पर वे अकेले फैसला नहीं ले सकते हैं, इसके लिए उन्हें गठबंधन की भागीदार कांग्रेस को विश्वास में लेना होगा

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सप्ताह भर में घोषणा या इस्तीफा

Announcement or resignation within the week: Kumarswami

बेंगलूरु. कृषि ऋण माफी पर गरमाई राजनीति के बीच विपक्षी भाजपा पर पलटवार करते हुए मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने रविवार को कहा कि अगर वे एक सप्ताह में ऋण माफी को लेकर फैसला करेंगे अन्यथा पद छोड़ देंगे। विधानसौधा परिसर में पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु की पुण्य तिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद कुमारस्वामी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि राज्य में जद (ध) और कांग्रेस की गठबंधन सरकार है। ऋण माफी जैसे मसले पर वे अकेले फैसला नहीं ले सकते हैं, इसके लिए उन्हें गठबंधन की भागीदार कांग्रेस को विश्वास में लेना होगा। साथ ही राज्य की वित्तीय स्थिति भी देखनी होगी।

अभी मंत्रिमंडल भी नहीं बना
भाजपा नेता बी एस येड्डियूरप्पा की ओर से सोमवार को इस मसले पर आहूत बंद के बारे में पूछे जाने पर कहा कि वे समाज को बांटने की कोशिश कर रहे हैं। कुमारस्वामी ने विपक्ष पर राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि अभी मंत्रिमंडल का गठन भी नहीं हुआ है लिहाजा हालात को समझा जाना चाहिए। कुमारस्वामी ने कहा कि भाजपा बंद का आह्वान कर राजनीति कर रही है। भाजपा और येड्डियूरप्पा को समाज को बांटने की कोशिश छोड़ देनी चाहिए।
बंद के आह्वान से पीछे हटी भाजपा
गौरतलब है कि जद (ध) ने घोषणा-पत्र में सत्ता में आने पर २४ घंटे में कृषि ऋण माफ करने का वादा किया गया था। विश्वासमत पर चर्चा के दौरान येड्डियूरप्पा ने २८ मई को कर्नाटक बंद का आह्वान करने की घोषणा की थी। हालांकि, भाजपा अब बंद आहूत करने की बात से पीछे हट चुकी है और सिर्फ किसानों की ओर से होने वाले बंद को समर्थन देने की बात कह रही है। प्रदेश भाजपा महासचिव एन. रवि कुमार ने बयान जारी कर कहा कि कुमारस्वामी वादा पूरा करने में विफल रहे हैं व लोगों से स्वप्रेरणा से बंद करने की अपील की।

भाजपा ने बयान पर घेरा
प्रदेश भाजपा महासचिव शोभा करंदलाजे ने भी कुमारस्वामी के बयान की आलोचना करते हुए कहा कि उन्हें बताना चाहिए कि क्या कांग्रेस ऋण माफी के प्रस्ताव का विरोध कर रही है। शोभा ने कहा कि कुमारस्वामी ने सत्ता में आने पर २४ घंटे में किसानों का ऋण माफ करने का वादा किया था। अब मुख्यमंत्री के पद पर बैठे कुमारस्वामी को अपना वादा पूरा करना चाहिए। गठबंधन सरकार पर प्रहार करते हुए शोभा ने कहा कि इस सरकार में दो आलाकमान हो गए हैं। एक पद्मनाभ नगर में है तो दूसरा दिल्ली में। शोभा ने पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या पर निशाना साधते हुए कहा कि वे कांग्रेस और जद ध, दोनों के लिए ही अस्वीकार्य हो गए हैं। कांग्रेस को ७८ सीटें भी सिद्धरामय्या के कारण मिली लेकिन पार्टी ने अब उन्हें हाशिए पर पहुंचा दिया है। इससे सिद्धरामय्या को कांग्रेस की सोच का अहसास हो जाना चाहिए।

सप्ताह भर में घोषणा या इस्तीफा IMAGE CREDIT: Rajasthan Patrika Photo

कांग्रेस की मेहरबानी पर टिकी सरकार
कुमारस्वामी ने कहा कि पार्टी के घोषणा पत्र के मुताबिक ऋण माफी का वादा पूरा करने के लिए उन्हें कम से कम सप्ताह भर का वक्त चाहिए। कुमारस्वामी ने कहा कि अगर वे एक सप्ताह में ऋण माफी का वादा पूरा नहीं कर पाते हैं तो स्वत: पद छोड़ देंगे, इसके लिए भाजपा या किसी को दबाव डालने की जरुरत नहीं पड़ेगी। कुमार स्वामी ने किसानों से आत्महत्या नहीं करने की अपील करते हुए कहा कि उनकी सरकार किसानों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। कुमारस्वामी ने कहा कि पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिलने के कारण उनकी सरकार राज्य की साढ़े छह करोड़ जनता के बजाय कांग्रेस के रहमो-करम पर है और कांग्रेस से चर्चा के बाद वे सरकार और सहकारी बैंकों से लिए गए किसानों के कृषि ऋण को माफ करने के बारे में घोषणा करेंगे।

बयान दबाव की रणनीति!
विश्वास मत हासिल करने के बाद कांग्रेस और जद (ध) के बीच सत्ता के बंटवारे को लेकर खींचतान चल रही है। दोनों दलों के बीच मंत्री पदों को लेकर सहमति बन जाने के बावजूद विभागों और जिला प्रभारी मंत्रियों को लेकर मतभेद बने हुए हैं। कांग्रेस वित्त और गृह जैसे बड़े विभाग अपने पास रखना चाहती है तो जद (ध) पांच बड़े विभाग अपने कोटे में चाहता है। इसके अलावा मैसूरु सहित कुछ अन्य जिलों के प्रभारी मंत्री को लेकर भी दोनों दलों में सहमति नहीं बन पा रही है। पिछले दो दिनों में कुमारस्वामी के दिए बयानों को राजनीतिक हलकों में कांग्रेस पर दबाव बनाने की उनकी रणनीति माना जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कुमारस्वामी ऐसे बयानों से कांग्रेस पर दबाव डाल कर अपनी बात मनवाने की कोशिश कर रहे हैं। कुमारस्वामी ने शनिवार को विभागों के बंटवारे पर कांग्रेस के साथ मतभेद की बात को स्वीकार करते हुए कहा था कि वे सम्मान खोकर मुख्यमंत्री पद पर नहीं बने रहेंगे। हालांकि, साथ ही कुमारस्वामी ने ये भी कहा था कि ये मसले नहीं हैं जिसके कारण सरकार के भविष्य पर कोई आंच आए।
बंद के आह्वान को लेकर घिरी भाजपा ने कुमारस्वामी को इस बयान पर घेरने में देरी नहीं की। केंद्रीय मंत्री डी वी सदानंद गौड़ा ने कुमारस्वामी के कांग्रेस के रहमो-करम पर गठबंधन सरकार के होने बयान को वीडियो ट्वीट कर पूछा कि क्या कुमारस्वामी ने सत्ता में बने रहने के लिए राज्य की जनता के सम्मान को गिरवी रख दिया है।

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