
यहां नारे लगाए तो कार्रवाई तय
बेंगलूरु. कर्नाटक की राजनीति में मठों की भूमिका नई नहीं है। लेकिन, अब कुछ मठों के प्रमुख खुले तौर पर किसी विधायक को मंत्री बनाने की मांग कर सत्तारुढ़ दल के लिए मुश्किलें पैदा कर रहे हैं। पिछले एक महीने के दौरान ऐसा दूसरी बार हुआ है। लिंगायत समुदाय के एक और मठ प्रमुख ने राज्य मंत्रिमंडल के अगले विस्तार में अपने अनुयायी को मंत्री नहीं बनाए जाने पर विधायकों के सामूहिक इस्तीफे की धमकी दी है। करीब एक महीने पहले भी दावणगेरे में एक कार्यक्रम के दौरान एक मठ प्रमुख ने मुख्यमंत्री बीएस येडियूरप्पा से ऐसी मांग की थी जिसके कारण येडियूरप्पा नाराज हो गए थे।
मिली जानकारी के मुताबिक श्रीसैलम स्थित शरणय्या मठ के प्रमुख सरंगधरा देशीकेंद्र स्वामी ने कहा कि अगर येडियूरप्पा अगले मंत्रिमंडल विस्तार में गुलबर्गा दक्षिण के विधायक दत्तात्रेय पाटिल रेवूर उर्फ अप्पू गौड़ा पाटिल को मंत्री बनाते हैं तो वे रेवूर से विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने के लिए कहेंगे। साथ ही यह भी सुनिश्चित करने की कोशिश करेेंगे कि कल्याण कर्नाटक क्षेत्र के कम से कम १० और विधायक इस्तीफा दें। ३७ वर्षीय पाटिल दूसरी बार विधायक चुने गए हैं।
कलबुर्गी में रेवूर के जन्मदिन पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए स्वामी ने कहा कि येडियूरप्पा अभी तीन साल और मुख्यमंत्री रहेंगे लेकिन उन्होंने पाटिल को मंत्री नहीं बनाया। अगर मुख्यमंत्री अपने वादे मुकरते हैं तो वे पाटिल को विधायक पद छोडऩे के लिए कहेंगे। उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि भाजपा सरकार तीन साल तक चले। साथ ही अगले पांच साल के लिए सत्ता में वापस आए। उन्होंने कहा कि अगर येडियूरप्पा अभी पद खोते हैं तो अगले ३० साल तक लिंगायत समुदाय का कोई व्यक्ति मुख्यमंत्री पद तक नहीं पहुंच पाएगा। उन्होंने रेवूर के पिता चंद्रशेखर पाटिल रेवूर भी विधायक रहे लेकिन उन्हें भी मंत्री बनने का मौका नहीं मिला। अगर येडियूरप्पा वादे के मुताबिक पाटिल को मंत्री नहीं बनाते हैं तो वे उन्हेें विधायक का पद छोड़कर किसान बन जाने के लिए कहेंगे। लेकिन, साथ ही यह भी सुनिश्चित करेंंगे कि इस इलाके के दस और विधायक भी इस्तीफा दे दें।
गौरतलब है कि जनवरी के मध्य में दावणगेरे में वाचनानंद स्वामी ने मुख्यमंत्री से सार्वजनिक कार्यक्रम में मुुरुगेश निराणी को मंत्री बनाने को लेकर ऐसी मांग की थी। उन्होंने कहा था कि अगर निराणी को मंत्री नहीं बनाया तो पंचशाली समुदाय भाजपा से समर्थन वापस ले लेगा। इसे लेकर मुख्यमंत्री ने नाराजगी भी जताते हुए इस्तीफा देने की बात कही थी। मुख्यमंत्री ने कहा था कि वे मठ प्रमुख का सम्मान करते हैं लेकिन सिर्फ सुझाव दिया जाना चाहिए, धमकी नहीं। हालांकि, बाद में मामला शांत हो गया था। प्रदेश भाजपा जी. प्रकाश ने सरंगधरा देशीकेंद्र स्वामी के बयान के बारे में पूछे जाने पर कहा कि मंत्री बनाने मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है। वे पार्टी आलाकमान से चर्चा कर इस बारे में निर्णय करते हैं। कोई भी किसी को मंत्री बनाने की मांग कर सकता है।
Published on:
29 Feb 2020 12:56 am
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