मुनि ने कहा कि व्यक्ति में दया व करुणा के भाव भी दान से ही जगते हैं। दान देना भी विशालता, उदारता व अच्छे संस्कार से ही संभव है। अन्नदान के क्षेत्र में गुरुद्वारों के लंगर सराहनीय सेवा हैं। मारवाड़ी समाज के लोगों की दया व करुणा के साथ सकारात्मक विशेषताएं देखी गई हैं। उन्होंने प्रथम आहार दान, दूसरा ज्ञानदान, तीसरा औषध दान को भी विस्तार से उल्लेखित करते हए जीतो की शिक्षा व रांका नगरी आवास योजना की सराहना की।
इससे पहले रमणीक मुनि ने कहा कि अंतगड़ सूत्र की वाचना में 90 आत्माओं का वर्णन है, जिन्होंने अपनी साधना से आत्मा को शिखर तक पहुंचाते हुए केवल ज्ञान और निर्वाण प्राप्त किया। उन्होंने कहा कि जिंदगी में किसी का बुरा नहीं करना।
इससे पहले रमणीक मुनि ने कहा कि अंतगड़ सूत्र की वाचना में 90 आत्माओं का वर्णन है, जिन्होंने अपनी साधना से आत्मा को शिखर तक पहुंचाते हुए केवल ज्ञान और निर्वाण प्राप्त किया। उन्होंने कहा कि जिंदगी में किसी का बुरा नहीं करना।
कर्मों के फल जिंदगी में भोगने ही पड़ते हैं। उसे भगवान भी नहीं बचा सकेगा। कर्मों की मार बहुत बुरी होती है। अर्हम मुनि ने स्तवन गीतिका प्रस्तुत की। महामंत्री गौतमचंद धारीवाल ने बताया कि जाप के लाभार्थी प्रकाशचंद पदमाबाई ओस्तवाल का रविन्द्र मुनि ने सम्मान किया। पारस मुनि ने मांगलिक प्रदान की। उत्तमचंद मुथा के 44 दिन आयंबिल गतिमान रहे। कोषाध्यक्ष धर्मीचंद कांटेड़ ने बताया कि सभा में कोटा, पुणे व घोडऩदी सहित शहर के विभिन्न उप नगरों से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने लाभ लिया।