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कक्षा पांच तक के बच्चों को नहीं मिले होमवर्क

इस वर्ष मई में प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा विभाग ने कक्षा एक और कक्षा दो के बच्चों को होमवर्क नहीं देने के निर्देश दिए थे। अब कर्नाटक प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग चाहता है कि कक्षा पांच तक के बच्चों को इसके अंतर्गत लाया जाए। आयोग के अनुसार के अनुसार होमवर्क के कारण बच्चे और अभिभावक बेवजह दबाव में रहते हैं।

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कक्षा पांच तक के बच्चों को नहीं मिले होमवर्क

कक्षा पांच तक के बच्चों को नहीं मिले होमवर्क

- केएससीपीसीआर का सुझाव
- होमवर्क के मनोवैज्ञानिक प्रभाव पर शोध की तैयारी

बेंगलूरु.

कर्नाटक प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग (Karnataka State Child Rights Protection Commission - केएससीपीसीआर) ने कक्षा एक से पांच तक बच्चों को गृहकार्य (Homework) नहीं देने की सिफारिश की है। इस वर्ष मई में प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा विभाग ने कक्षा एक और कक्षा दो के बच्चों को होमवर्क नहीं देने के निर्देश दिए थे। अब केएससीपीसीआर चाहता है कि कक्षा पांच तक के बच्चों को इसके अंतर्गत लाया जाए।

केएससीपीसीआर के अध्यक्ष फादर एंटनी सेबस्टियन के अनुसार होमवर्क के कारण बच्चे और अभिभावक बेवजह दबाव में रहते हैं। इससे बच्चों का बचपना भी खत्म होता है, साथ ही भविष्य की कई मानसिक समस्याओं का बीजारोपण भी हो जाता है। कई अभिभावकों ने शिकायत की है कि पांच से छह वर्ष के बच्चों को घर में कई घंटों तक होमवर्क करना पड़ता है।

सेबस्टियन ने बताया कि केएससीपीसीआर ने अपने एक अध्ययन (Study) में पाया है कि बच्चों को दिए गए अधिकांश होमवर्क उम्र के पैमानों पर खरे नहीं उतर रहे हैं। बच्चों पर होमवर्क के मनोवैज्ञानिक (psychological) प्रभाव पर शोध करने की योजना है।

पूर्ण प्रतिबंध समाधान नहीं : चिकित्सक

राष्ट्रीय मानसिक आरोग्य व स्नायु विज्ञान संस्थान (Nimhans) में बाल और किशोर मनोरोग विभाग के डॉ. के जॉन विजय सागर का कहना है कि होमवर्क पर पूर्ण प्रतिबंध समस्या का समाधान नहीं है। बच्चों को शिक्षित करने के वैकल्पिक तरीकों पर काम करना होगा। स्कूलों को मंथन करना होगा कि वे बच्चों को किस तरह का होमवर्क देते हैं। कम उम्र से ही बच्चों को बहुत ज्यादा लिखने पर मजबूर किया जा रहा है जो बच्चों के विकास के लिए ठीक नहीं है।