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कांग्रेस के दो विधायकों के दुबारा मतदान पर विवाद

राज्यसभा चुनावजद(ध) ने किया मतदान का बहिष्कार

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 siddaramiah

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बेंगलूरु. राज्य से संसद के उच्च सदन राज्यसभा की चार सीटों के लिए शुक्रवार को हुए चुनाव में कांग्रेस के दो विधायकों के दुबारा मतदान करने को लेकर विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई। चुनाव अधिकारी के फैसले से नाराज जनता दल (ध) ने मतदान का बहिष्कार किया। चुनाव में मतदान करने के योग्य 217 विधायकों में से सिर्फ 188 ने ही मतदान किया। जद (ध) के 28 और कांग्रेस के एक विधायक ने मतदान नहीं किया। राजनीतिक हलकों में माना जा रहा है कि कांग्रेस के तीनों उम्मीदवार- एल हनुमंतय्या, सैयद नासिर हुसैन और जी सी चंद्रशेखर तथा भाजपा के राजीव चंद्रशेखर चुनाव जीतेंगे जबकि जद (ध) बी एम फारुक इस बार भी राज्यसभा नहीं पहुंच पाएंगे। राजीव पहले भी दो बार निर्दलीय राज्यसभा सदस्य रह चुके हैं।
राजस्व मंत्री कागोडु तिमप्पा व पूर्व मंत्री बाबूराव चिणचनसूर ने पहली बार मतपत्र पर गलत जगह पर चिह्न लगा दिया। नियमों के मुताबिक मत डालने से पहले जब दोनों ने पार्टी के चुनाव एजेंट को मत पत्र दिखाया तो गलती समाने आई। इसके बाद दोनों ने दुबारा पार्टी के मुख्य सचेतक के निर्देश के मुताबिक सही उम्मीदवार को मत डाला। इसके बार में जानकारी मिलने पर जनता दल(ध) के एच. डी. रेवण्णा ने दोनों विधायकों को दो-दो मत पत्र दिए जाने का विरोध किया। पार्टी के उम्मीदवार फारुक ने विधानसभा सचिव सह चुनाव अधिकारी एस मूर्ति के साथ चुनाव आयोग से भी मामले की लिखित शिकायत की। जद (ध) के नेताओं और चुनाव अधिकारी के बीच वाद-विवाद के कारण कुछ देर के लिए मतदान प्रक्रिया भी बाधित हुई। इसी दौरान वहां पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री व प्रदेश जद (ध) अध्यक्ष एच डी कुमारस्वामी ने राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी संजीव कुमार से मामले की शिकायत की और चुनाव अधिकारी को बदलने की मांग की। कुमारस्वामी और रेवण्णा ने मूर्ति पर कांग्रेस के एजेंट की तरह बर्ताव करने का आरोप लगाया।

8 विधायकों ने की क्रॉस वेाटिंग
बाद में जद (ध) ने अनियमितताओं के कारण चुनाव के बहिष्कार का फैसला किया। हालांकि, तब तक उसके दो सदस्य मतदान कर चुके थे। विधानसभा के 224 निर्वाचित सदस्यों को राज्यसभा चुनाव में मतदान का अधिकार होता है लेकिन सात सीटें रिक्त होने के कारण इस बार सिफ्र 217 सदस्य की मतदाता सूची में थे। कांग्रेस के बेल्लूर से विधायक रुद्रेश गौड़ा मतदान के दौरान ही गिर पड़े और उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया। गौड़ा मतदान नहीं कर पाए। जद(ध) के 37 विधायकों में से सात बागियों ने कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया और शेष तीस विधायकों में से एच.डी. रेवण्णा व सारा महेश को छोड़कर बाकी 28 विधायकों ने मतदान का बहिष्कार किया। जद(ध) ने बागी विधायकों को भी पार्टी उम्मीदवार फारुक के पक्ष में मतदान करने के लिए व्हिप जारी किया था लेकिन 2016 की तरह इस बार भी इन विधायकों ने कांग्रेस के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की। इन विधायकों को अयोग्य ठहराने का मामला अब भी विधानसभा अध्यक्ष के पास लंबित है। हाल में भाजपा में शामिल हुए कांग्रेस के निष्कासित सदस्य ए.एस. पाटिल नड़हल्ली ने भी भाजपा के उम्मीदवार के पक्ष में मतदान किया। उन्होंने कांग्रेस विधायकों की सूची में नाम होने के कारण कांग्रेस के एजेंट को दिखाकर भाजपा उम्मीदवार को मत डाला। इससे पहले सुबह 9 बजे मतदान शुरू होने पर भाजपा के श्रृंगेरी से विधायक डी.एम. जीवराज ने पहला वोट डाला और इसके बाद विधायकों ने लाईन में खड़े होकर अपनी अपनी बारी से अपने अपने उम्मीदवारों के पक्ष में मतदान किया।
...बीमार पाटिल भी डालने आए वोट
कांग्रेस के विधान पार्षद एम. डी. लक्ष्मीनारायण बीमार महाराष्ट्र एकीकरण समिति( एमईएस) के विधायक संभाजी पाटिल के प्रतिनिधि के तौर पर मतदान करने पहुंचे तो भाजप और जद(ध) के चुनाव एजेंटों ने उनका विरोध किया। बाद में पाटिल आए और खुद अपना वोट डाला।

जद(ध) के बागी आज देंगे विस से इस्तीफा
पार्टी से निलंबित जनता दल (ध) के सातों बागी विधायक शनिवार को विधानसभाध्यक्ष के.बी.कोलीवाड़ को त्याग पत्र सौंपेंगे। चामराजपेट क्षेत्र के विधायक जमीर अहमद खान के मुताबिक सातों विधायक 25 मार्च को मैसूरु में आयोजित रैली के दौरान कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी तथा प्रदेश अध्यक्ष डॉ.जी.परमेश्वर की उपस्थिति में कांग्रेस में शामिल होंगे।
में चुनाव बहिष्कार का फैसला किया है।

बहिष्कार चेहरा बचाने की कोशिश!
राजनीतिक हलकों में माना जा रहा है कि जद(ध) ने अपने उम्मीदवार की हार की संभावना को देखते हुए अनियमितताओं की आड़ में मतदान का बहिष्कार करने का फैसला किया। बागी विधायकों के कांग्रेस के तीसरे उम्मीदवार जी सी चंद्रशेखर के पक्ष में क्रॉस वोटिंग करने और पर्याप्त मतों का इंतजाम नहीं होने पाने के कारण पार्टी जीत को लेकर सशंकित थी और कांग्रेस के दो विधायकों के दुबारा मतदान करने की घटना से जद (ध) को चेहरा बचाने का मौका मिल गया। बागी विधायकों में से एक जमीर अहमद खान राज्यसभा चुनाव के बहिष्कार को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि जद (ध) को पता है कि उनके प्रत्याशी की हार सुनिश्चित है। इसलिए बौखलाहट में चुनाव बहिष्कार का फैसला किया है।