बैंगलोरPublished: Apr 01, 2022 11:47:28 am
Nikhil Kumar
- तीन फीसदी परिवारों को ही मिला नकद हस्तांतरण योजनाओं का कुछ लाभ : अध्ययन
- उधार के लिए अनौपचारिक स्रोतों पर निर्भरता बढ़ी
- 12 फीसदी परिवार को नहीं मिला ऋण
- 41 प्रतिशत श्रमिक काम से वंचित
बेंगलूरु. कोरोना महामारी (Corona Pandemic) गरीब परिवारों और श्रमिकों पर विशेष रूप से भारी पड़ी है। केवल तीन फीसदी परिवारों को राज्य सरकार द्वारा घोषित नकद हस्तांतरण योजनाओं का लाभ मिल सका है। कोविड के दौरान उधार के लिए अनौपचारिक स्रोतों पर निर्भरता बढ़ी। महामारी के जोर के दौरान 40 फीसदी लोगों ने औसत से कम खुराक पर गुजारा किया। 11 प्रतिशत परिवारों को दैनिक खर्च या पुराने कर्ज चुकाने के लिए उधार लेने पर मजबूर होना पड़ा। लेकिन, 12 फीसदी परिवार कोशिश करने के बावजूद उधार नहीं ले सके। कुछ खास वर्ग के लोगों को दूसरे तबकों से ज्यादा परेशानी हुई। नौकरी और आय का नुकसान 2020 के लॉकडाउन के बाद भी बना रहा। 41 प्रतिशत श्रमिकों के पास कोई काम नहीं था। अन्य 21 प्रतिशत ने वर्ष 2021 के जनवरी-फरवरी में कम कमाई की। दैनिक वेतन भोगी, घरेलू कामगार और खुदरा क्षेत्र के कर्मचारी सबसे अधिक प्रभावित हुए।