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दुःख बनकर लौटते हैं अज्ञानता में किए गए अपराध:आचार्य विमलसागर

चामराजपेट में धर्मसभा

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बेंगलूरु. आचार्य विमलसागरसूरी ने कहा कि अज्ञान दुःखों का बहुत बड़ा कारखाना है। रोग, अभाव, विवाद, वेदना इत्यादि सभी प्रकार के दुःख अज्ञानदशा में आचरित अपराधों के कारण आते हैं। सद्गुरु के सान्निध्य में आध्यात्मिक ज्ञान की उपासना कर हम अपने इहलैकिक, पारलौकिक दुःखों से मुक्त होने का उपाय ढूंढ सकते हैं। यह सिर्फ मिथकीय मान्यता ही नहीं, मनोवैज्ञानिक सत्य भी है।

चामराजपेट स्थित शीतल-बुद्धि-वीर वाटिका के विशाल पंडाल में विराट धर्मसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अज्ञानता में किए हुए अपराध दु:ख बनकर लौटते हैं। ज्ञानदशा ही दुःखमुक्ति का मार्ग है। भगवान महावीर का उपदेश है कि हिंसा, मांसाहार, शराब, जुआ, दुराचार, हत्या, झूठ, कपट, चोरी, मिलावट, विश्वासघात, बेईमानी आदि सभी तरह के छोटे-बड़े पाप-अपराध कभी न कभी भयंकर दुःख बनकर लौटेंगे। अगर आप दुःख और पीड़ा नहीं चाहते हैं तो इन अपराधों से बचने का प्रयास करो। आपके स्वयं के बिना कोई भी शक्ति आपको बचाने नहीं आ सकती।

आचार्य ने कहा कि भौतिक ज्ञान मनुष्य को इच्छाओं, कामनाओं और वासनाओं के पथ पर ले जाता है। आध्यात्मिक ज्ञान पाप-अपराध से मुक्त बनकर शांति से जीने का मार्गदर्शन देता है। ये तथ्य सद्गुरु के सान्निध्य और सम्यक ज्ञान के परिपेक्ष्य में गहराई से समझे जा सकते हैं।