
बेंगलूरु. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने उन्नत वैज्ञानिक उपकरणों से लैस तीसरी पीढ़ी के भू-अवलोकन उपग्रह ‘ईओएस-06’ (ओशनसैट-3) सहित कुल 9 उपग्रहों को सफलतापूर्वक पृथ्वी की कक्षा में स्थापित कर दिया।
इसरो के सबसे विश्वसनीय ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान पीएसएलवी सी-54 ने श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के पहले लाॅन्च पैड (एफएलपी) से नियत समय सुबह 11.56 बजे ने उड़ान भरी और 17 मिनट 10 सेकंड बाद धरती से 742 किमी ऊपर सूर्य समकालिक ध्रुवीय कक्षा (एसएसपीओ) में इओएस-06 को सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया। कक्षा में स्थापित होते ही उपग्रहों के सौर पैनल खुल गए और बेंगलूरु स्थित इसरो टेलीमेट्री ट्रैकिंग एवं कमांड नेटवर्क (इसट्रैक) ने उपग्रह को अपने नियंत्रण में ले लिया।
पुराने उपग्रह का लेगा स्थान
इओएस-06 उपग्रह का निर्माण यहां बेंगलूरु स्थित प्रोफेसर यूआर राव उपग्रह केंद्र में हुआ। ऑपरेशनल कक्षा में पहुंचने के बाद यह उपग्रह अपनी सेवाएं पूरी कर चुके ओशनसैट-2 की जगह लेगा और महासागर के रंग, तापमान एवं हवा की दिशा से संबंधित आंकड़ों की निरंतरता सुनिश्चित करेगा। अनुप्रयोगों में सुधार के लिए इसमें कुछ नए डाटा सेट और उन्नत उपकरण लगाए गए हैं। अगले दस वर्षों तक यह उपग्रह मौसम और चक्रवाती तूफानों की भविष्यवाणी में अहम भूमिका निभाएगा।
इओएस-06 को कक्षा में स्थापित करने के बाद पीएसएलवी सी-54 मिशन जारी रहा। दो कक्षा परिवर्तनों और लगभग दो घंटे के बाद पीएसएलवी सी-54 का चौथा चरण शेष 8 उपग्रहों के साथ पृथ्वी से 511 किमी ऊंचाई वाली दूसरी कक्षा में पहुंचा। शेष उपग्रह 516 से 528 किमी वाली कक्षा के बीच एक-एक कर स्थापित हो गए। इसमें भारत और भूटान की संयुक्त साझेदारी में विकसित आइएनएस-2 बी, पिक्सल इंडिया का उपग्रह आनंद, ध्रुवस्पेस इंडिया के दो उपग्रह थाइबोल्ट और अमरीकी कंपनी स्पेसफ्लाइट के ४ एस्ट्रोकास्ट उपग्रह शामिल हैं। यह पहला अवसर है जब पिक्सल इंडिया ने भारतीय प्रक्षेपण यान से अपने उपग्रह लाॅन्च किया है। बेंगलूरु आधारित कंपनी ने इससे पहले अपने दो उपग्रह स्पेसएक्स के प्रक्षेपणयान फाल्कन-09 से अमरीका के केप केनवरल से लांच किए थे। पीएसएलवी की यह 56 वीं और पीएसएलवी एक्स-एल की यह 24 वीं उड़ान थी।--बॉक्स-----
अगले वर्ष अपने सभी प्रक्षेपणयान लाॅन्च करेगा इसरो: सोमनाथ
- आदित्य, चंद्रयान-2 और नाविक सहित वाणिज्यिक मिशन भी होंगे लाॅन्च
मिशन की सफलता के बाद इसरो अध्यक्ष सोमनाथ ने खुशी जताई और भविष्य के मिशनों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इसरो अगले वर्ष अपने सभी प्रक्षेपणयानों पीएसएलवी, जीएसएलवी, एलवीएम-3 और एसएसएलवी का प्रयोग करेगा और अलग-अलग उपग्रह लाॅन्च किए जाएंगे। ब्रिटेन आधारित वन वेब कंपनी के 36 उपग्रहों को एलवीएम-3 से लाॅन्च किया जाएगा। पहला मिशन हाल ही में लाॅन्च किया गया था। इसके अलावा पीएसएलवी से आदित्य-1 मिशन और जीएसएलवी से चंद्रयान-3 भी अगले वर्ष लाॅन्च करने की योजना है। सोमनाथ ने कहा कि नाविक शृंखला के उपग्रह भी लाॅन्च किए जाने हैं। इस शृंखला का एक उपग्रह अगले वर्ष भेजा जाएगा। शृंखला के कुल 8 उपग्रहों में से कुछ आंशिक रूप से खराब हो चुके हैं। उनकी जगह नए नाविक उपग्रह भेजे जाएंगे। इसके अलावा एसएसएलवी प्रक्षेपण की भी योजना है। पहला मिशन सफल नहीं हुआ था। आवश्यक सुधार के बाद दूसरा मिशन लाॅन्च करने की तैयारी चल रही है।
Published on:
27 Nov 2022 12:33 am
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