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राज्य में एनइपी को खत्म कर विद्यार्थियों के भविष्य से खिलवाड़ नहीं करें: प्रधान

केंद्रीय मंत्री ने राज्य सरकार के फैसले पर जताई गहरी नाराजगी

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बेंगलूरु. राज्य में अगले शैक्षणिक सत्र से राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनइपी) 2020 को रद्द करने और राज्य की शिक्षा नीति (एसइपी) लागू करने की घोषणा को लेकर सत्तारुढ़ कांग्रेस और मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा के बीच तकरार नहीं थम रही है। मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या ने एक दिन पहले ही राज्य की नई शिक्षा नीति तैयार करने के लिए समिति गठित करने की घोषणा की थी।
केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मंगलवार को राज्य में एनइपी-2020 को रद्द करने के कर्नाटक सरकार के फैसले की आलोचना की और इसे एक प्रतिगामी कदम बताया जो विद्यार्थियों के भविष्य को प्रभावित करेगा। प्रधान ने उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार से एनइपी पर राजनीति नहीं करने की अपील की। उन्होंने सरकार से युवा पीढ़ी के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं करने को कहा।
प्रधान ने दिल्ली में मीडिया से कहा, एनइपी 21वीं सदी के लिए एक भविष्य का दस्तावेज है, न कि कोई राजनीतिक दस्तावेज। यह 21वीं सदी की नई उभरती हुई तकनीक के बारे में है। यह स्कूल प्रणाली में कौशल-आधारित शिक्षा के बारे में है। उन्होंने कहा, कर्नाटक सरकार किस तरह की राजनीति करना चाहती है? राजनीति को अपना रास्ता अपनाने दें और राज्य सरकार युवा पीढ़ी के भविष्य से खिलवाड़ नहीं करे।
केंद्रीय मंत्री ने उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार से भी कई सवाल भी पूछे। उन्होंने पूछा, क्या वे (शिवकुमार) और कांग्रेस औपचारिक शिक्षा के एक हिस्से के रूप में प्रारंभिक बचपन की देखभाल और शिक्षा का विरोध करते हैं? क्या वे नहीं चाहते कि हमारे बच्चे कक्षा 2 पूरी करने तक बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान हासिल कर लें? क्या वे हमारे बच्चों के लिए स्थानीयकृत भारतीय खिलौनों, खेलों और खेल-आधारित शिक्षा का विरोध करते हैं?
प्रधान ने पूछा कि क्या वे कन्नड़ और अन्य भारतीय भाषा में शिक्षा का विरोध करते हैं? क्या वे एनइइटी (राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा), सीयूइटी जैसी परीक्षाएं नहीं चाहते हैं। कॉमन यूनिवर्सिटी प्रवेश परीक्षा), जेइइ (संयुक्त प्रवेश परीक्षा) पारदर्शी तरीके से कन्नड़ सहित भारतीय भाषा में आयोजित की जाएगी?
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनइपी) पर शिवकुमार के बेतुके बयान दिल्ली में उनके राजनीतिक आकाओं को खुश कर सकते हैं लेकिन राज्य के छात्रों के हितों से समझौता करते हैं।
कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के घोषणा पत्र में एनइपी को खत्म करने का वादा किया था और बजट के दौरान मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या ने कहा था कि इसे राज्य शिक्षा नीति से बदल दिया जाएगा। सिद्धरामय्या ने पिछले हफ्ते दोहराया था कि अगले शैक्षणिक वर्ष से राज्य में एनइपी को खत्म कर दिया जाएगा।