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ई-20 ईंधन बचाएगा विदेशी मुद्रा, घटाएगा प्रदूषण

8 साल में ५३ हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की बचत

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बेंगलूरु. कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता कम करने के लिए सरकार पेट्रोल में एथनॉल के मिश्रण को बढ़ावा दे रही है। बेंगलूरु देश के उन चुनिंदा 15 शहरों में शामिल है, जहां इसी सप्ताह ई-२० ईंधन की बिक्री शुरू हुई है। देश के बाकी हिस्सों में अगले दो साल के दौरान ई-२० ईंधन की बिक्री शुरू हो जाएगी। अभी पेट्रोल में 10 प्रतिशत एथनॉल का मिश्रण किया जा रहा है। किसानों की सहायता के साथ ही ई-१० ईंधन से पिछले आठ साल के दौरान ५३ हजार करोड़ रुपए से अधिक की विदेशी मुद्रा की बचत हुई। सरकार का लक्ष्य २०२५ तक ई-२० को अनिवार्य करने का है। इससे विदेशी मुद्रा की बचत के साथ ही उत्सर्जन घटाने में भी मदद मिलेगी। पिछले आठ साल के दौरान ई-१० ईंधन से किसानों को ४९,०७८ करोड़ रुपए का लाभ हुआ तो कार्बन डायऑक्साइड के उत्सर्जन में ३१८ लाख टन की कमी आई।

दरअसल, पिछले आठ साल के दौरान पेट्रोल में एथनॉल मिश्रण के मामले में तेजी से वृद्धि हुई है। वर्ष २०१४ में सिर्फ डेढ़ प्रतिशत एथनॉल का मिश्रण किया जाता था। ई-२० को अप्रेल में लॉन्च किया जाना था मगर दो महीने पहले ही बेंगलूरु में ऊर्जा सप्ताह उद़्घाटन कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे लॉन्च किया। देश ने ई-१० का लक्ष्य भी पिछले साल जून में तय समय से पांच महीने पहले ही हासिल कर लिया था। ऊर्जा सप्ताह कार्यक्रम में में केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा था कि ई-२० को वर्ष २०३० में पूर्णत: क्रियान्वित जाना था मगर हमने इसे घटाकर अब वर्ष २०२५ कर दिया है।

कच्चे तेल के आयात पर बढ़ रहा व्ययभारत दुनिया का तीसरा बड़ा तेल उपोभक्ता है और 85 प्रतिशत कच्चा तेल आयात किया जाता है। आयात के वित्तीय बोझ को घटाने के साथ ही २०७० तक शून्य उत्सर्जन लक्ष्य हासिल करने के लिए स्वच्छ ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देने की कोशिश की जा रही है। ई-0 (स्वच्छ पेट्रोल) की तुलना में ई-20 के उपयोग से दोपहिया वाहनों में कार्बन मोनोऑक्साइड उत्सर्जन में लगभग 50 प्रतिशत और चार पहिया वाहनों में लगभग 30 प्रतिशत की कमी का अनुमान है। दोपहिया और यात्री कारों, दोनों में हाइड्रोकार्बन उत्सर्जन में 20 प्रतिशत की कमी का अनुमान है। वित्त वर्ष 2021-22 कच्चे तेल के आयात पर 120.7 बिलियन अमरीकी डालर खर्च हुए। चालू वित्त वर्ष में अकेले पहले नौ महीनों (अप्रैल 2022 से दिसंबर 2022) में तेल आयात पर 125 बिलियन अमरीकी डालर खर्च हुए हैं।

किसानों को भी मिल रही मदद

गन्ने के साथ-साथ टूटे चावल और अन्य कृषि उत्पादों से एथनॉल का उत्पादन होता है। एथनॉल मिश्रित ईंधन से गन्ना किसानों को भी मदद मिल रही है। 30 नवंबर को समाप्त एथनॉल आपूर्ति वर्ष के दौरान पेट्रोल में 440 करोड़ लीटर एथनॉल मिलाया गया। अगले वर्ष के लिए 540 करोड़ लीटर एथनॉल की खरीद के साथ बड़ी मात्रा में सम्मिश्रण शुरू करने का लक्ष्य रखा गया है। पिछले आठ वर्षों के दौरान इथेनॉल आपूर्तिकर्ताओं ने 81,796 करोड़ रुपए कमाए हैं जबकि किसानों को 49,078 करोड़ रुपए मिले हैं। वर्ष २०१४ में जब सरकार ने एथॅनाल के मूल्य का निर्धारण शुरू किया था तब सरकारी तेल कंपनियां सिर्फ ३८ करोड़ लीटर एथनॉल ही खरीदती थी जबकि पिछले एथनॉल आपूर्ति वर्ष (दिसम्बर से नवम्बर) २०२१-२२ में ४५२ करोड़ लीटर हो गया था। देश में वर्तमान वार्षिक इथेनॉल उत्पादन क्षमता लगभग 1,037 करोड़ लीटर है जिसमें 700 करोड़ लीटर शीरा आधारित और 337 करोड़ लीटर अनाज आधारित उत्पादन क्षमता शामिल है।

दूसरी पीढ़ी की इथेनॉल बायो-रिफाइनरी भीपेट्रोल की खपत के आधार पर नीति आयोग के तैयार रोडमैप के अनुसार 2022-23 के लिए पेट्रोल के साथ सम्मिश्रण के लिए इथेनॉल की अनुमानित आवश्यकता 542 करोड़ लीटर से बढ़कर 2025-26 तक 1016 करोड़ लीटर हो जाएगी। तेल कंपनियों ने एथनॉल आपूर्ति वर्ष 2022-23 के दौरान पेट्रोल में मिलाने के लिए 30 जनवरी 2023 तक 80.09 करोड़ लीटर इथेनॉल और वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान डीजल में मिलाने के लिए 6 करोड़ लीटर बायो-डीजल खरीदा है। सरकारी तेल कंपनियां दूसरी पीढ़ी की इथेनॉल बायो-रिफाइनरी भी स्थापित कर रही हैं।