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हर महीने 38 हजार से ज्यादा को काट रहे आवारा श्वान

15 हजार से ज्यादा मामलों के साथ विजयपुर जिला सर्वाधिक प्रभावित है। 13,831 मामलों के साथ बृहद बेंगलूरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) क्षेत्र दूसरे स्थान पर है।

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dog attack

Photo- Patrika

लोगों का चलना मुश्किल हो गया है। शाम ढलते ही शहर Bengaluru में इनका आतंक कायम हो जाता है। चौक-चौराहों और गली-मोहल्लों में ये झुंड फैल जाते हैं। अंधेरे में ये आक्रमक हो जाते हैं और कई आने-जाने वालों पर टूट पड़ते हैं। बच्चे और दोपहिया वाहन चालक सबसे ज्यादा इनके शिकार बनते हैं। ये या तो उन्हें काट खाते हैं या फिर इनके खौफ से दुर्घटना हो जाती है...।

कुछ ऐसा ही आतंक है आवारा कुत्तों Stray Dogs का। आतंक का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि राज्य में कुत्ते के काटने (डॉग बाइट) के मामलों में चिंताजनक रूप से 36 फीसदी से ज्यादा की वृद्धि और कई रेबीज मौतें Rabies Deaths हुई हैं। 15 हजार से ज्यादा मामलों के साथ विजयपुर जिला सर्वाधिक प्रभावित है। 13,831 मामलों के साथ बृहद बेंगलूरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) क्षेत्र दूसरे स्थान पर है।

राज्य स्वास्थ्य विभाग Karnataka Health Department के एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आइडीएसपी) की ओर से रविवार को जारी आंकड़ों के अनुसार राज्य में इस वर्ष जनवरी से जून तक 2,31,091 कुत्ते के काटने के मामले पंजीकृत हुए हैं। यह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में ज्यादा है। इस वर्ष के पहले छह महीने में रेबीज के कारण 19 लोगों की मौत भी हुई है। पिछले वर्ष इसी अवधि में कुत्तों के काटने के 1,69,672 मामले और रेबीज से 18 मौतें दर्ज की गई थीं। बीते वर्ष राज्य में कुत्ते के काटने के 3.6 लाख मामले दर्ज हुए थे जबकि 42 रेबीज मौतें हुई थीं।

अब बेहतर रिपोर्टिंग

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के प्रधान सचिव हर्ष गुप्ता ने कहा कि स्थिति नियंत्रण से बाहर नहीं है। उनके अनुसार पहले भी ऐसी घटनाएं होती थीं, लेकिन सभी मामले दर्ज नहीं हो पाते थे। जागरूकता के कारण मामलों की रिपोर्टिंग ज्यादा सटीक हुई है। कर्नाटक सरकार ने महामारी रोग अधिनियम, 2020 के तहत मानव रेबीज को एक अधिसूचित रोग घोषित किया था। इसके बाद से ही कुत्ते के काटने के मामलों और रेबीज से होने वाली मौतों की रिपोर्टिंग बढ़ी है।

मामूली खरोंच भी खतरे की घंटी

गुप्ता ने बताया कि ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाने के हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। जागरूकता फैलाने, चिकित्सकों को इलाज के लिए प्रशिक्षित करने, पर्याप्त मात्रा में दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने और शहरी स्थानीय निकायों और ग्रामीण प्रशासन को आवारा कुत्तों की आबादी का प्रबंधन करने के निर्देश दिए गए हैं। निकट भविष्य में बेहतर परिणाम की उम्मीद है। मामूली खरोंच पर भी तुरंत चिकित्सा की आवश्यकता होती है, क्योंकि इससे भी संक्रमण हो सकता है।

व्यावहारिक चुनौती

गुप्ता ने माना कि रेबीज से होने वाली मौतों को रोकने के लिए और भी बहुत कुछ किया जा सकता है, लेकिन चुनौती अभी भी गंभीर है। आवारा कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने और रेबीज के प्रकोप को रोकने के लिए नियमित रूप से टीकाकरण करने की आवश्यकता है। हालांकि, आबादी ज्यादा होने के कारण हर आवारा कुत्ते की निगरानी और टीकाकरण एक बड़ी व्यावहारिक चुनौती है।

नियंत्रण के प्रयास जारी

बीबीएमपी के अधिकारियों का कहना है कि कुत्तों की आबादी नियंत्रित करने की कोशिशें जारी हैं। बीबीएमपी कई गैर सरकारी संस्थानों के साथ काम कर रहा है। टीम ने आवारा कुत्तों पर कई जागरूकता कार्यक्रम किए हैं और जनता को कुत्तों के साथ सही व्यवहार करने सहित रेबीज से बचने के बारे में शिक्षित किया गया है।

डॉग बाइट Dog Bite : कहां कितने मामले

विजयपुर -15,527

बीबीएमी - 13,831

हासन -13,388

दक्षिण कन्नड़ - 12,524

बागलकोट -12,392

बेंगलूरु शहरी -8,878

बेंगलूरु ग्रामीण - 4,408

कोडुगू -2,523

चामराजनगर -1,810

यादगीर-1,132

रेबीज से मौतें

बेंगलूरु शहरी - 9

बेलगावी - 5

बागलकोट - 1

बल्लारी - 1

चिक्कबल्लापुर - 1

शिवमोग्गा - 1