बेंगलूरु.कुंथुनाथ जिनालय, श्रीनगर के रजत जयंती उत्सव के उपलक्ष्य में मंंगलवार को आचार्य चंद्रयश सूरीश्वर के सान्निध्य में रजत जयंती उत्सव पत्रिका लेखन का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। इस मौके पर आचार्य ने कहा कि अनंत संसार के परिभ्रमण के बाद परम पुण्योदय से परमात्मा मिले हैं। कई बार हमने प्रभु के हाथ को पकड़ा मगर […]
बेंगलूरु.कुंथुनाथ जिनालय, श्रीनगर के रजत जयंती उत्सव के उपलक्ष्य में मंंगलवार को आचार्य चंद्रयश सूरीश्वर के सान्निध्य में रजत जयंती उत्सव पत्रिका लेखन का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।
इस मौके पर आचार्य ने कहा कि अनंत संसार के परिभ्रमण के बाद परम पुण्योदय से परमात्मा मिले हैं। कई बार हमने प्रभु के हाथ को पकड़ा मगर जब पुद्गलों की आसक्ति ने हमें जकड़ा तो हमारा हाथ परमात्मा से छुटकर पुद्गलों से जुड़ गया। अब हमें यह प्रार्थना करनी चाहिए कि प्रभु हमारा हाथ पकड़ें ताकि कितना भी प्रलोभन आए हमारा हाथ प्रभु के हाथ से ना छूटे। आचार्य ने कहा कि जीवन में आगे बढ़ने सबसे बड़ा मंत्र है धन्यवाद। अनुमोदना ऐसा शब्द है जो आपको सफल के साथ ही सरल व्यक्तित्व का धनी बना सकता है। जीवन में हर किसी को शुक्रिया देना चाहिए ताकि जीवन में कभी भी किसी के प्रति भी नकारात्मक विचार नहीं आएगा। शुक्रिया देने से सकारात्मक ऊर्जा का फैलाव होता है। कभी भी किसी के भी अच्छे कार्यों की अनुमोदना करनी चाहिए। जय जिनेंद्र का लाभ पुष्पाबाई थानमल मल्लेच्छा परिवार ने लिया।
पत्रिका लेखन कार्यक्रम में दीप प्रज्वलन का लाभ लीलाबाई तेजराज मल्लेच्छा परिवार ने लिया। ट्रस्ट के अध्यक्ष चंदूलाल कोठारी ने स्वागत किया। सचिव विनोद भंडारी ने विचार व्यक्त किए। सुनील एंड पार्टी ने संगीत पेश किया। कुंथुनाथ जैन भक्ति मंडल ने सजावट की सेवा प्रदान की। बुधवार को आचार्य नगरथपेट पहुंचेंगे।