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चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव का वातावरण पूर्वानुमानों से कहीं अधिक सक्रिय

शिव शक्तिप्वाइंट के पास इलेक्ट्रॉनों का घनत्व 380 से 600 इलेक्ट्रॉन प्रति घन सेंटीमीटर चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम ने दी चंद्र सतह की पहली अनूठी जानकारी

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देश के तीसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय प्रदेशों में प्लाज्मा (विद्युत-आवेशित गैस) वातावरण के बारे में अनूठी और अपने किस्म की पहली जानकारी दी है। लैंडर विक्रम के पे-लोड राम्भा (रेडियो ऑटोनॉमी ऑफ मून बाउंड हाइपरसेंसिटिव आयनोस्फीयर एंड एटमॉस्फीयर) के आंकड़ों से पता चला है कि दक्षिणी धु्रवीय प्रदेशों में चांद की सतह पर विद्युतीय वातावरण पूर्वानुमानों से कहीं ज्यादा सक्रिय है।

चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम 23 अगस्त 2023 को चंद्रमा की सतह पर उतरा और 03 सितंबर 2023 तक आंकड़े जुटाए। इन आंकड़ों के आधार पर अध्ययन से पता चला कि चंद्रमा के पास मौजूद प्लाज्मा स्थिर नहीं है। यह चंद्रमा की पृथ्वी के चारों ओर कक्षीय स्थिति के अनुसार दो प्रमुख कारणों से लगातार बदलता रहता है। जब चंद्रमा सूर्य की सीध में और पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के बाहर होता है, तब सतह के प्लाज्मा में होने वाले परिवर्तन सौर हवाओं के कणों और चंद्रमा के एक्सोस्फीयर (बर्हिमंडल) के बीच होने वाली परस्पर क्रिया से प्रभावित होते हैं। इसके विपरीत, जब चंद्रमा पृथ्वी की भू-चुंबकीय क्षेत्र से गुजरता है, तब प्लाज्मा वातावरण में होने वाले बदलाव पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से होनेे वाले आवेशित कणों के प्रवाह से प्रभावित होते हैं। इसके अलावा चंद्रमा की सतह पर कार्बन डाइ-ऑक्साइड (सीओ2) और डाइ हाइड्रोजन मोनोऑक्साइड (एच2ओ) गैसों के प्रभाव से भी चंद्रमा का वातावरण बदलता है।

इलेक्ट्रॉनों का तापमान 3 से 8 हजार केल्विन तक

लैंडर विक्रम के आंकड़ों से पाया गया कि चंद्रयान-3 के लैंडिंग स्थल शिव शक्तिप्वाइंट के पास इलेक्ट्रॉन घनत्व 380 से 600 इलेक्ट्रॉन प्रति घन सेंटीमीटर है। यह चंद्रमा की ऊंचाई पर पाए जाने वाले इलेक्ट्रोनिक घनत्व से कहीं अधिक है। जब लैंडर विक्रम चंद्रमा पर लैंडिंग के लिए आगे बढ़ रहा था, तब भी उसके वातावरण में इलेक्ट्रोनिक घनत्व का पता लगाया गया था। यह भी पाया गया कि चंद्रमा की सतह के पास मौजूद इलेक्ट्रॉनों में अत्यधिक ऊर्जा होती है और इनका तापमान (जिसे गतिज तापमान कहा जाता है) 3000 से 8000 केल्विन के बीच होता है।

भविष्य के मिशनों को मिलेगी नई दिशा

प्लाज्मा प्राय: पदार्थ की चौथी अवस्था है, जिसमें आवेशित कणों, आयनों और स्वतंत्र इलेक्ट्रॉनों का मिश्रण होता है। हालांकि, यह विद्युतीय उदासीन होता है, लेकिन इसकी चालकता अत्यधिक होती है। यह विद्युत-चुंबकीय क्षेत्रों के प्रति अत्यंत संवेदनशील होकर प्रतिक्रिया करता है। प्लाज्मा चंद्रमा पर एक महीन परिवेश या चंद्र आयनमंडल का निर्माण करता है जो कई प्रक्रियाओं से प्रभावित होता है। लैंडर विक्रम के 3 पे-लोड में से एक राम्भा चंद्रमा की सतह के परिवेश में इलेक्ट्रॉन के घनत्व और तापमान के बारे में जानकारी देने के लिए ही भेजा गया था। इसने चंद्रमा पर अस्थायी प्लाज्मा के विकास और घनत्व के बारे में भी जानकारी दी है। इसरो ने कहा है कि यह अध्ययन भविष्य के मिशनों को नई दिशा देगा।