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धर्म के पथ पर चलने से ही सुख की प्राप्ति: ठाकुर

श्रीमद् भागवत कथा का चतुर्थ दिवस

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बेंगलूरु. विश्व शांति सेवा समिति, बेंगलूरु के तत्वावधान में यहां पैलेस मैदान में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के चतुर्थ दिवस कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने कहा कि जो सब जगह माथा टेकते हैं उन पर स्वयं देवता भी विश्वास नहीं करते हैं और जिनकी एक भगवान में सच्ची निष्ठा होती है तो वह आराध्य ही उस भक्त का बेड़ा पार कर देते हैं।

उन्होंने भजन तेरी बिगड़ी बना देगी चरण रज राधा प्यारी की... प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि शास्त्रों में बताया गया है कि जो व्यक्ति तपस्या करने वालों को रोकता है उसे मृत्यु दंड की प्राप्ति होती है।जिस देश का राजा धर्मात्मा होता है तो उस देश की प्रजा भी धर्मात्मा होती है। इसलिए राजा को धर्मात्मा ही होना चाहिए ताकि उसकी प्रजा किसी गलत मार्ग पर न चले। मनुष्य को क्रोध को भुलाकर अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिए। कर्तव्य ही मनुष्य का कर्म होता है।उन्होंने कहा कि उसी मनुष्य को सुख की प्राप्ति होती है जो धर्म के पथ पर चलता है। मनुष्य की बुद्धि कर्म में फंसी होती है। मनुष्य को ऐसे कर्म करने चाहिए जिससे मनुष्य सांसारिक कर्मों से मुक्त हो जाए।

श्रीमद् भागवत कथा के चतुर्थ दिवस का शुभारंभ विश्व शांति के लिए प्रार्थना के साथ हुआ। मुख्य यजमान जे.के.गुप्ता, पूनम गुप्ता, प्रमुख यजमान संतोष , सह यजमान रामा शर्मा, उत्सव यजमान शशि गोयल, गजानंद गोयल, आयोजक समिति सदस्य संजय अग्रवाल, महेश कुमावत, रतन पाण्डेय, संजय चतुर्वेदी, ओमप्रकाश ठाकुर ने कथावाचक का स्वागत किया।