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हुब्बली परिषद को मिला राष्ट्रीय पुरस्कार

अखिल भारतीय श्री राजेंद्र जैन नवयुवक परिषद का दो दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन पिछले दिनों आचार्य नित्यसेन सूरीश्वर के सान्निध्य में मध्यप्रदेश के उज्जैन नगर में हुआ।

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हुब्बली परिषद को मिला राष्ट्रीय पुरस्कार

हुब्बली परिषद को मिला राष्ट्रीय पुरस्कार

हुब्बल्ली. अखिल भारतीय श्री राजेंद्र जैन नवयुवक परिषद का दो दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन पिछले दिनों आचार्य नित्यसेन सूरीश्वर के सान्निध्य में मध्यप्रदेश के उज्जैन नगर में हुआ। अधिवेशन में देश भर की करीब 250 शाखाओं के पदाधिकारियों ने भाग लिया। अधिवेशन में कर्नाटक के मैसूर, बेंगलूरु एवं हुबली के सदस्यों ने भी भाग लिया। परिषद के सहमंत्री संजय सेठ ने हुबली शाखा की ओर से किए गए कार्यों का ब्योरा दिया।


मानवता की सेवा के लिए किए गए कार्यों के लिए हुबली परिषद को सेवा कार्य में प्रथम पुरस्कार से परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेश धरु, महामंत्री अशोक श्रीश्रीमाल व ओ.सी. जैन ने हुबली परिषद अध्यक्ष ललित जैन, उपाध्यक्ष नितेश जैन, मंत्री नीलेश जैन, गुणवंत, कैलाश, अशोक मूथा, बंटी, आकाश, योगेश, शैलेष को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया।

सिद्धाचल स्थूलभद्र धाम में हुआ मणिभद्र वीर महापूजन
बेंगलूरु. सिद्धाचल स्थूलभद्र धाम में आचार्य चंद्रयश सूरीश्वर, प्रवर्तक कलापूर्ण विजय की निश्रा में प्रथम तीर्थ स्थापित जिनालय सन्मुख मणिभद्र वीर महापूजन आनंद पूर्वक संपन्न हुआ। प्रात: शुभ वेला में कुंभ स्थापना, दीपक स्थापना व नवाग्रहादि पाटला विधान हुआ। इसके बाद मणिभद्र वीर के दूध, दही, घी, सर्वोषधि, तीर्थजल से पांच महाभिषेक हुआ। बाद में अष्ट प्रकारी पूजा व हवन विधान हुआ। आचार्य ने कहा कि मणिभद्र वीर तपागच्छ के अधिष्ठायक देव हैं। जिनशासन के प्रभावक कार्यों में सदैव सहायता करते हैं।

आराधना में भक्तों का तांता लगा रहा। मालूर जैन संघ में जिनालय निर्माण की उद्घोषणा हुई। चातुर्मास पश्चात अंजनशलाका प्रतिष्ठा का मुहूत्र्त प्रदान किया जाएगा। विधि-विधान विपिनभाई व संगीत कमलेश एण्ड पार्टी ने पेश किया।

प्राचीन लिपि की मदद बिना इतिहास जान पाना संभव नहीं
बेलगावी. भारत का इतिहास, धर्म, संस्कृति व आचार-विचार प्राचीन हस्तलिपि में छिपे हैं। इतना होने के बावजूद आचार-विचार पर हमारी श्रद्धा कम हो रही है। यह विचार विद्वान हंप नागराजय्या ने व्यक्त किए। वे हंपी के कन्नड़ विश्वविद्यालय के हस्तलिपि विभाग के ए.एन. विस्तार केंद्र की ओर से शहर के भारतेश शिक्षा संस्थान कालेज में शनिवार को आयोजित अखिल कर्नाटक हस्तलिपि सम्मेलन में बोल रहे थे।


उन्होंने कहा कि बीते दिनों में प्राचीन लिपि के माध्यम से संस्कृति की रक्षा की जाती थी। लिपि की मदद के बिना इतिहास को जान पाना संभव नहीं। लिपि निर्जीव नहीं बल्कि उनमें अभी भी जान है। हंपी कन्नड़ विश्वविद्यालय के कुलसचिव मंजुनाथ बेविनकट्टी ने कहा कि प्राचीन हस्तलिपि बेंगलूरु विश्वविद्यालय के किसी कोने में धूल फांक रही है। लिपियों का हस्तांतरण कन्नड़ विश्वविद्यालय के लिपि भंडारण में किया जाना चाहिए ताकि उन्हें पुन: संपादित किया जा सके। सम्मेलन में आधुनिक हिंदी महाकाव्य में भगवान महावीर, हस्तलिपि कोर्स-१७, हस्तलिपि कोर्स १८ नामक तीन पुस्तकों का विमोचन किया गया। इस अवसर पर भरतेश शिक्षा संस्थान के अध्यक्ष पुष्पदंत दोडण्णवर, कोषाध्यक्ष श्रीपाल खेमलापुरे आदि उपस्थित थे।